Fri, 20 September 2024 03:40:07am
महिलाओं के प्रति अपराधों में लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है। सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर लाख दावे करती है, लेकिन फिर भी अपराधियों के दिल में कोई भी खौफ घर नहीं कर सका। खौफ होगा भी कैसे, जब अपराधियों को सजा देने वाले भी गुनहगार हों। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं। इसके आंकड़ों से पता चलता है कि 2017 से 2022 के बीच हिरासत में दुष्कर्म के 270 से अधिक मामले दर्ज किए गए।
यह लोग होते हैं अपराधी
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अपराधियों में पुलिसकर्मी, लोक सेवक, सशस्त्र बलों के सदस्यों के अलावा जेलों, सुधार गृहों, हिरासत स्थलों एवं अस्पतालों के कर्मचारी भी शामिल हैं। महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन घटनाओं के लिए कानून प्रवर्तन प्रणालियों में संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को जिम्मेदार बताया है।
इतने मामले आए सामने
आंकड़ों के अनुसार, 2017 में 89 में मामले दर्ज किए गए थे, जो 2018 में घटकर 60 रह गए। वहीं, साल 2019 में 47, 2020 में 29, 2021 में 26 और 2022 में 24 मामले सामने आए। इन आंकड़ों से यह तो साफ है कि पिछले कुछ वर्षों में ऐसे मामलों में धीरे-धीरे कमी आई है।
यह राज्य नंबर वन पर
हिरासत में दुष्कर्म के मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत दर्ज किए जाते हैं। अगर हम बात करें कि किस राज्य में महिलाओं के साथ हिरासत में सबसे ज्यादा बदसलूकी की गई है, तो उसमें उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर है। यहां 2017 से 2022 के बीच 92 मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, इसके बाद मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर रहा। यहां 43 मामले दर्ज कराए गए हैं।
ऐसी हालात में होती हैं महिलाएं शिकार
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने कहा कि हिरासत व्यवस्था दुर्व्यवहार के लिए ऐसे अवसर प्रदान करती है, जहां सरकारी कर्मचारी अक्सर अपनी शक्ति का इस्तेमाल यौन इच्छा पूरी करने के लिए करते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां महिलाओं को उनके संरक्षण या उनकी कमजोर स्थिति जैसे तस्करी या घरेलू हिंसा के कारण हिरासत में लिया गया और उनके साथ यौन हिंसा की गई, जो प्रशासनिक संरक्षण की आड़ में शक्ति के दुरुपयोग को दर्शाता है।