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रोबोट खोलेगा समुद्र की गहराइयों में छिपे राज, मंडी और पलक्कड़ IIT के अध्ययनकर्ताओं ने किया विकसित



अजय त्यागी [Input - amarujala.com] 2024-03-04 02:49:32 तकनीकी

सांकेतिक फोटो - सोशल मीडिया
सांकेतिक फोटो - सोशल मीडिया

समुद्र और बांधों के तल की जांच, निगरानी और खोज अभियानों को मौजूदा मशीनों के जरिये अंजाम देना बेहद मुश्किल होता है। इन महंगे अभियानों में शामिल गोताखोरों की जान को भी कई खतरे होते हैं। इसका समाधान निकालने के लिए प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी व पलक्कड़ के अध्ययनकर्ताओं ने समुद्री रोबोट तैयार किया है।

आईआईटी मंडी में एआई व रोबोटिक्स सेंटर के सहायक आचार्य व अध्ययनकर्ता जगदीश कदियम ने बताया कि उनका शोध पानी के भीतर काम कर सकने वाले रोबोट के प्रोटोटाइप के विकास और जांच व खोज संबंधित उपयोग में इसके प्रदर्शन को आंकने पर केंद्रित था। यह रोबोट समुद्र और पृथ्वी पर मौजूद जलाशयों व बांधों में भी काम करने के लिए सक्षम है।

इसके कई प्रयोग व सिम्युलेशन (कंप्यूटर पर जांच) में इसने अपनी योग्यता साबित की। अध्ययनकर्ताओं में शामिल आईआईटी पलक्कड़ के प्रोफेसर शांताकुमार मोहन ने बताया कि विभिन्न हालात में रोबोट के प्रदर्शन के परीक्षणों में उन विशिष्ट उपकरणों व उनके समन्वय को समझने में मदद मिली, जो किसी खास मिशन के लिए जरूरी होंगे।

अगर फायदों की बात करें तो रोबोट्स समुद्र, जलाशयों व बांधों के भीतर भेजे जा सकेंगे। अभियानों की लागत कम करेंगे, ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे और खतरे घटाएंगे। पनबिजली परियोजनाओं की निगरानी, जांच, राहत अभियानों में भी इनका उपयोग हो सकता है।

शांताकुमार के अनुसार समुद्री अभियानों के लिए रोबोट्स विकसित करना चुनौतीपूर्ण है। उन तत्वों का चुनाव करना जिनमें आसानी से जंग न लगे, उपकरणों को वाटरप्रूफ बनाना, समुद्र की गहराई में पानी का अत्याधिक दबाव सहने योग्य ढांचा तैयार करना आदि प्रमुख चुनौतियां हैं। फिर भी नई तकनीकों के आने से निकट भविष्य में समुद्री रोबोट्स पर हमारी निर्भरता बढ़ती जाएगी। दूसरी ओर दुनिया भर में कई बड़े बांध बूढ़े हो रहे हैं, इनकी निरंतर निगरानी जरूरी है। इनकी मजबूती जांचने के लिए पारंपरिक के बजाय आधुनिक तरीके अपनाने होंगे।



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