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आयुष अस्पतालों का होगा देशभर में विस्तार, मंत्रालय ने जारी किए दिशानिर्देश



अजय त्यागी 2024-03-05 12:53:07 स्वास्थ्य

प्रतीकात्मक फोटो : सोशल मीडिया
प्रतीकात्मक फोटो : सोशल मीडिया

आयुष मंत्रालय ने नए दिशानिर्देश जारी किए जिसके अनुसार, प्रति जनसंख्या बिस्तर मानदंड का पालन करते हुए आयुष अस्पतालों का पूरे देश में विस्तार किया जाएगा। इसमें गुणवत्तापूर्ण आंतरिक रोगी देखभाल की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएगा।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार इसमें मानक के अनुसार, प्रति 5,000 जनसंख्या पर एक अस्पताल बिस्तर आवश्यक है, जबकि प्रति दो हजार जनसंख्या पर एक बिस्तर वांछनीय है। बता दें कि देशभर में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न श्रेणियों में 3,844 आयुष अस्पताल संचालित हैं। इन अस्पतालों में कुल मिलाकर बिस्तरों की संख्या 60,943 है।

अस्पतालों में मिलेंगी ये सुविधाएं

रिपोर्ट के अनुसार आयुष स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (आईपीएचएस) में कहा गया है कि आयुष अस्पतालों में बिस्तरों की आवश्यक संख्या सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली आयुष अस्पतालों के माध्यम से प्रदान की जा सकती है। इसमें जैसे मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, 10 बिस्तरों वाले, 30 बिस्तरों वाले, 50 या अधिक बिस्तरों की सुविधाएं शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि बिस्तरों की वांछनीय संख्या हासिल करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बिस्तर प्रावधान को मजबूत करने और बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के योगदान पर भी विचार किया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार एक सामान्य नियम के रूप में, 24 घंटे से अधिक समय तक किसी मरीज के लिए उपलब्ध और कार्यात्मक सभी बिस्तरों की गणना इन-पेशेंट अस्पताल के बिस्तरों के रूप में की गई है। 

क्या कहते हैं दस्तावेज

रिपोर्ट में बताया गया है कि विभाग द्वारा जारी दस्तावेजों के अनुसार, आईपीएचएस मानकों के अनुपालन में आयुष अस्पतालों से आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवारिग्पा और होम्योपैथी के सिद्धांतों के अनुरूप आवश्यक सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने की उम्मीद की जाती है। इसमें स्वास्थ्य स्थितियों के व्यापक स्पेक्ट्रम को पूरा करने वाली प्रोत्साहन, निवारक, उपचारात्मक और पुनर्वास सेवाएं शामिल हैं, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है।

दस्तावेज में आगे कहा गया है कि इन सुविधाओं को समकालीन स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के साथ पारंपरिक और पूरक चिकित्सा पद्धतियों को एकीकृत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इससे एक सामंजस्यपूर्ण मिश्रण को बढ़ावा मिलता है, जो आबादी की विविध स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं को पूरा करता है। 



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