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जज्बे को सलाम! कम लंबाई को नहीं बनने दिया सफलता में बाधा, डॉक्टर बने गणेश बरैया (देखें विडियो)



अजय त्यागी 2024-03-08 07:48:44 मोटिवेशनल

चुनौतियों का सामना कर डॉक्टर बने गणेश बरैया
चुनौतियों का सामना कर डॉक्टर बने गणेश बरैया

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों, गुजरात के रहने वाले डॉ. गणेश बरैया ने इस लाइन को सही साबित कर दिया है। गणेश ने अपनी कम लंबाई को अपनी सफलता में बाधा नहीं बनने दिया। अपना मुकाम हासिल करने में आई परेशानियों से पार पाते हुए उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर अपने सपने को पूरा कर दिखाया है। कुछ साल पहले उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कम लंबाई के कारण एमबीबीएस करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था।

चुनौतियों के आगे नहीं मानी हार

मेडिकल काउंसिल द्वारा योग्य ठहराए जाने के बाद भी तीन फीट लंबे डॉ. बरैया अपने दृढ़ संकल्प से पीछे नहीं हटे। उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल की मदद ली, जिला कलेक्टर, राज्य के शिक्षा मंत्री से संपर्क किया और फिर गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। गुजरात हाई कोर्ट में केस हारने के बाद भी डॉ. बरैया ने उम्मीद नहीं खोई। उन्होंने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया, 2018 में केस जीता। जिसके बाद उन्होंने 2019 में एमबीबीएस में प्रवेश लिया और अब डिग्री पूरी करने के बाद गणेश भावनगर के सर-टी अस्पताल में प्रशिक्षु के रूप में काम कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय में मिली जीत

समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ बातचीत में डॉ. गणेश बरैया ने बताया कि 12वीं कक्षा पास करने के बाद उन्होंने एमबीबीएस में दाखिला लेने के लिए एनईईटी परीक्षा उत्तीर्ण की और फॉर्म भरा, तो मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने उनकी लंबाई के कारण फार्म खारिज कर दिया। मामले में कारण दिया गया कि कम ऊंचाई के कारण आपातकालीन मामलों को संभालने में सक्षम नहीं हो पाएंगे।

जिसके बाद उन्होंने भावनगर कलेक्टर और गुजरात शिक्षा मंत्री से संपर्क किया। भावनगर कलेक्टर के निर्देश पर उन्होंने मामले को गुजरात उच्च न्यायालय में ले जाने का फैसला किया। उनके साथ दो अन्य उम्मीदवार थे जो दिव्यांग थे, लेकिन गुजरात उच्च न्यायालय में वो केस हार गए। हार न मानते हुए उन्होंने फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।

अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई की शुरुआत के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि मुझे एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल सकता है। चूंकि 2018 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश पूरा हो चुका था, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुझे 2019 में एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश मिलेगा। मैंने भावनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और मेरी एमबीबीएस यात्रा शुरू हो गई।

लंबाई नहीं काबिलियत का पैमाना

अपनी लंबाई के कारण रोजमर्रा की चुनौतियों पर डॉ. बरैया ने कहा कि हालांकि शुरुआत में मरीज उनकी लंबाई के आधार पर उन्हें आंकते हैं, लेकिन समय के साथ वे सहज हो जाते हैं और उन्हें अपने डॉक्टर के रूप में स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा कि जब भी मरीज मुझे देखते हैं तो पहले तो वे थोड़ा चौंक जाते हैं लेकिन फिर वे मुझे स्वीकार कर लेते हैं और मैं भी उनके शुरुआती व्यवहार को स्वीकार कर लेता हूं। वे मेरे साथ सौहार्दपूर्ण और सकारात्मकता के साथ व्यवहार करते हैं।


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