Fri, 20 September 2024 03:19:20am
गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को हलफनामे का मसौदा तैयार करने और दाखिल करने के लिए उचित प्रारूप का पालन नहीं करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के चलता है रवैये को चिह्नित किया।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने कहा कि वह आगे से इस तरह के अधूरे हलफनामे स्वीकार नहीं करेगी।
रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा कि एक दिन, मैंने हलफनामे के प्रारूप में खामियां बताईं। जिस पर एक वकील ने कहा कि यहां ऐसा ही चलता है। उन्होंने आगे कहा कि क्षमा करें, लेकिन उच्च न्यायालय के लिए आप यह चलता है रवैया नहीं अपना सकते। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं रजिस्ट्रार को ऐसे सभी हलफनामों को खारिज करने के लिए सख्त निर्देश जारी करूंगा, जो उचित प्रारूप में नहीं हैं और फिर मैं समझता हूँ कि कोई भी हंगामा नहीं करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राज्य के अधिकारियों को यह समझने की जरूरत है कि वे अपेक्षित विवरण का उल्लेख किए बिना उच्च न्यायालय में हलफनामा दाखिल नहीं कर सकते हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि हलफनामा कोई औपचारिकता नहीं है। यह दलील का दिल और आत्मा है। इसलिए इसे उचित प्रारूप में दाखिल करने की जरूरत है।
रिपोर्ट के अनुसार अदालत कक्ष में मौजूद सरकारी वकील मनीषा लवकुमार-शाह ने पीठ को आश्वासन दिया कि राज्य इस मुद्दे पर गौर करेगा और गलतियों को सुधारेगा। वरिष्ठ वकील ने पीठ से कहा कि हम सुधार करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि गलती दोबारा न हो।
रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने लवकुमार-शाह को बताया कि देरी की माफी के लिए एक याचिका पर फैसला सुनाते समय उसे एक खराब तरीके से तैयार किया गया हलफनामा मिला था। पीठ ने कहा कि हलफनामे में कुछ महत्वपूर्ण बातों का जिक्र नहीं है।