Fri, 20 September 2024 03:40:41am
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले शीर्ष 5 दानदाताओं में 3 ऐसे हैं, जिन्हें ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग की कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। 14 कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसी के छापों के बाद करीब 4,000 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। कुछ कंपनियों ने काम मिलने से पहले चुनावी बॉन्ड खरीदे।
शीर्ष दानदाता फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ 2016 से ही ईडी की कार्रवाई जारी है और 2019 से 2024 के बीच अलग-अलग मौकों पर फ्यूचर गेमिंग ने 1386 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। इसी तरह 1000 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदार दूसरी बड़ी दानदाता मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्टचर लिमिटेड (एमईआईएल) के खिलाफ अक्तूबर 2019 में आयकर विभाग ने रेड डाली, जिसके बाद ईडी ने भी कार्रवाई शुरू की थी। बाद में एमईआईएल ने अप्रैल 2020 में 50 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे और 2024 तक यह सिलसिला चलता रहा। एमईआईएल को मई 2023 में महाराष्ट्र में ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिला, इसके कुछ दिन पहले अप्रैल 2023 में इसने 140 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। 376 करोड़ का चंदा देने वाली पांचवीं सबसे बड़ी दानदाता वेदांता के खिलाफ जून 2018 में ईडी ने दावा किया था कि इसके खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर चीनी नागरिकों को वीजा दिलाने के मामले में पुख्ता सबूत हैं।
आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद भाजपा में शामिल हुए थे टीडीपी सांसद सीएम रमेश 123 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदार। 15वीं बड़ी दानदाता कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर के खिलाफ 2019 में कोयला खदान घोटाले व बाद में 2022 में विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन को लेकर कार्रवाई की गई। कंपनी ने इसी दौरान चुनावी बॉन्ड की खरीदारी की थी। इसके अलावा टीडीपी के सांसद सीएम रमेश की कंपनी रितिक प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ अक्तूबर 2018 में आयकर विभाग ने कार्रवाई की। इसके कुछ महीने बाद ही रमेश भाजपा में शामिल हो गए और उन्होंने 45 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। दिल्ली शराब घोटाले को लेकर चर्चा में आए पी शरत रेड्डी ने कुल 49 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे।
30 फार्मा कंपनियों ने खरीदे 900 करोड़ के बॉन्ड
12,155 करोड़ के कुल चुनावी बॉन्ड में से 900 करोड़ के बॉन्ड 30 फार्मा कंपनियों ने खरीदे। इनमें भी सबसे ज्यादा 164 करोड़ रुपये के बॉन्ड यशोदा हॉस्पिटल, इसके बाद 80 करोड़ के डॉ. रेड्डी लैबोरेटरी, 77.5 करोड़ टोरंट फार्मा, 39.2 करोड़ सिप्ला ने खरीदे हैं।
इन कंपनियों पर भी प्रवर्तन एजेंसियों का साया
केंद्र की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कार्रवाई के बाद चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की फेरहिस्त में 105 करोड़ के साथ चेन्नई ग्रीन वुड्स, 84 करोड़ के साथ आईआरबी इन्फ्रा, हेटेरो ग्रुप 60 करोड़, अरबिंदो फार्मा 52 करोड़, रामको सीमेंट 54 करोड़, माइक्रो लैब्स 16 करोड़, एल्केम 15 करोड़, केजेएस ग्रुप 14 करोड़ त्रिवेणी अर्थ मूवर्स 11 करोड़ व 10 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीद के साथ यूएसवी प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। मोटे तौर पर अब तक कुल 14 ऐसी कंपनियां मिली हैं, जिनके बीच केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई और चुनावी बॉन्ड की खरीद का संबंध मिला है।
खनन-स्टील कंपनियों ने 850 करोड़ किए खर्च
चुनावी चंदे पर खनन और स्टील क्षेत्र की कंपनियों ने 850 करोड़ रुपये खर्च किए। इनमें सबसे ज्यादा वेदांता ने 376 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। इसके अलावा आदित्य बिरला समूह की खनन कंपनी ईएमआईएल को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में खनन परियोजना के लिए पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के चलते अटकी हुई थी। 2019 से 2022 के बीच कंपनी ने 224 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।
चार वित्तीय कंपनियों ने 87 करोड़ के बॉन्ड खरीदे
बजाज फाइनेंस, पिरामल एंटरप्राइजेज, मुथूट फाइनेंस और एडलवीस ग्रुप ने अप्रैल 2019 से जनवरी 2024 के दौरान 87 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे।
शीर्ष व्यक्तिगत खरीदार
लक्ष्मी मित्तल- 35 करोड़
केके राजा जेटी- 25 करोड़
राहुल भाटिया- 20 करोड़
इंदर ठाकुरदास- 14 करोड़
राजेश अग्रवाल- 13 करोड़
राजू शर्मा- 10 करोड़
हर्मेश जोशी- 10 करोड़
अनीता शाह- 8.20 करोड़
किरण शॉ- 6 करोड़
क्षेत्रीय पार्टियों ने जुटाया 5,221 करोड़ चंदा
क्षेत्रीय दलों को अप्रैल, 2019 और जनवरी, 2024 के बीच चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 5,221 करोड़ रुपये से अधिक चंदा मिला। यह इसी अवधि में अकेले भाजपा के जुटाए गए 6,060.51 करोड़ से 839 करोड़ रुपये कम है। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस व गोवा फॉरवर्ड पार्टी को एक करोड़ रुपये से कम चंदा मिला। कांग्रेस और आप ने इस अवधि में क्रमशः 1,421.86 करोड़ रुपये और 65.45 करोड़ जुटाए हैं। वहीं, अन्य राष्ट्रीय दलों बसपा, सीपीआई (एम) और एनपीपी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई धन नहीं मिला।
तृणमूल कांग्रेस ने 1,609.53 करोड़ रुपये जुटाये, जो 22 क्षेत्रीय दलों के प्राप्त कुल दान का 30% है।
भारत राष्ट्र समिति ने 1,214.70 करोड़ रुपये, बीजेडी ने 775.50 करोड़ रुपये, डीएमके ने 639 करोड़, वाईएसआरसीपी ने 337 करोड़, टीडीपी ने 218.88 करोड़ और शिवसेना ने 159.38 करोड़ रुपये जुटाए।
राजद ने बांड के माध्यम से 73.5 करोड़ रुपये, जद (एस) ने 43.40 करोड़ रुपये, सिक्किम क्रांतिकारी पार्टी ने 36.5 करोड़, एनसीपी ने 31 करोड़, जनसेना पार्टी ने 21 करोड़ रुपये, सपा ने 14.05 करोड़, जद(यू) ने 14 करोड़ और झामुमो ने 13.5 करोड़ रुपये जुटाए।
अकाली दल ने 7.2 करोड़, एआईएडीएमके ने 6.05 करोड़ व सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 5.5 करोड़ रुपये जुटाए।
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