Fri, 20 September 2024 03:02:49am
2019 की सफलता को फिर से हासिल करना 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए के लिए एक बड़ी चुनौती लग रहा है। यही कारण है कि जेडीयू और बीजेपी दोनों ही कोई जोखिम लेने से हिचकिचा रहे हैं। इसीलिए गठबंधन ने परिचित चेहरों के साथ बने रहने का विकल्प चुना है। जिसके चलते अधिकांश समान उम्मीदवारों को दोहराया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महिलाओं की भागीदारी पर जोर देने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी द्वारा हाल ही में घोषित 17 उम्मीदवारों में से कोई भी महिला नहीं है। लैंगिक समानता के लिए सरकार के दबाव को देखते हुए यह निर्णय आश्चर्यजनक है, जैसा कि पिछले साल पेश किए गए महिला आरक्षण अधिनियम से पता चलता है।
शनिवार को बीजेपी की ओर से जारी की गई सूची में बिहार के सभी 17 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं, जैसे पश्चिमी चंपारण से संजय जयसवाल, पूर्वी चंपारण से राधा मोहन सिंह और मधुबनी से अशोक कुमार यादव। यहाँ यह ध्यान देने योग्य है कि भाजपा के चयनित उम्मीदवारों में महिला प्रतिनिधित्व गायब है।
दुर्भाग्य से, 2019 में भारतीय जनता पार्टी से लोकसभा चुनाव जीतने वाली एकमात्र महिला सांसद रमा देवी को भी इस बार शिवहर से उम्मीदवार के रूप में नहीं चुना गया है। यह सीट जेडीयू को दे दी गई है, जिसके चलते उन्हें बदला गया है। हालाँकि, जेडीयू ने इस सीट से आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को अपना उम्मीदवार चुना है। वहीं, जेडीयू ने सीवान से भी विजयलक्ष्मी देवी को मौका दिया है। गौरतलब है कि लवली राजपूत समुदाय से हैं जबकि रमा देवी वैश्य समुदाय से हैं। रमा देवी के पति बृजबिहारी प्रसाद बिहार सरकार में मंत्री थे और लालू यादव से जुड़े थे। ऐसा भी माना जा रहा है कि चिराग पासवान अपनी 5 सीटों से किसी महिला को टिकट देंगे।
गठबंधन के रूप में बेशक कुछ महिलाओं को मौका मिला है लेकिन नारी शक्ति वंदन की बात करने वाली, महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का दावा करने वाली भाजपा ने किसी महिला को मौका नहीं दिया। ऐसे में सवाल उठता है कि कहाँ गया नारी शक्ति वंदन, 33 प्रतिशत आरक्षण। भाजपा यदि सत्ता में वापस आ जाती है तब भी, इस हिसाब से क्या अगले 5 साल महिलाओं को और इन्तजार करना पड़ेगा?
बता दें कि, पिछले साल सितंबर में, मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम पेश किया, जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं दोनों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना है। यह बिल 20 सितंबर को लोकसभा और 21 सितंबर को राज्यसभा दोनों में सफलतापूर्वक पारित हो गया। 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी मंजूरी दे दी। हालाँकि, इस अधिनियम का कार्यान्वयन जनगणना के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन के पूरा होने पर निर्भर है। -अजय त्यागी