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अंबाजोगाई में खुदाई के दौरान मिले दो प्राचीन मंदिरों के आधार, एएसआई की कार्रवाई में हुआ खुलासा



अजय त्यागी [Input - abplive.com] 2024-03-25 10:13:13 महाराष्ट्र

खुदाई के दौरान मिले दो प्राचीन मंदिरों के आधार
खुदाई के दौरान मिले दो प्राचीन मंदिरों के आधार

महाराष्ट्र के पुरातत्व विभाग के हाथ बड़ी सफलता लगी है। राज्य के बीड जिले के अंबाजोगाई के पास सकलेश्वर मंदिर परिसर में चल रही खुदाई के दौरान दो मंदिर के आधार मिलने की पुष्टि हुई है। पुरातत्व विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। 

मंदिर का निर्माण 1228 ईस्वी में हुआ था

मामले की जानकारी देते हुए अधिकारी ने बताया कि सकलेश्वर मंदिर का निर्माण तकरीबन 1228 ईस्वी में यादव राजवंश द्वारा किया गया, जो पहले मिले एक शिलालेख के मुताबिक देवगिरि किले से शासन करते थे। इसे बाराखंबी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। 

परिसर में हमें दो मंदिरों के मिले आधार- अमोल गोटे

राज्य पुरातत्व के सहायक निदेशक अमोल गोटे जानकारी देते हुए कहा कि सकलेश्वर मंदिर के परिसर में खुदाई 15 मार्च से शुरू हुई थी। प्रत्येक 100 वर्ग फुट की 14 खाइयां बनाई गई है। अपनी पुरातत्व खोज के दौरान हमें परिसर में दो मंदिरों के आधार मिले हैं, जिनमें से एक खोलेश्वर हैं। जिसका नाम एक यादव जनरल के नाम पर रखा गया है। खुदाई के दौरान हमें कुछ प्राचीन ईटें भी मिली है। जो मंदिर के शिखर होने का प्रमाण देती है। साथ ही हाथ, पैर जैसे मूर्तिकला के हिस्से में खुदाई के दौरान सामने आए। 

अंबाजोगाई के प्राचीन स्मारकों का करेंगे सर्वेक्षण- गोटे

अमोल गोटे ने कहा कि इसी परियोजना के तहत हम अंबाजोगाई में प्राचीन स्मारकों का सर्वेक्षण भी करेंगे, जो क्षेत्र को विरासत गांव का दर्जा देने में बहुत मदद करेगा। अंबाजोगाई शहर को पहले के समय में अमरापुर, जयंतीपुर, जोगायम्बे के नाम से भी जाना जाता था। इसे हैदराबाद निजाम काल के दौरान मोमिनाबाद के नाम से भी जाना जाता था। इसमें हत्थीखाना, दासोपंत मंदिर, योगेश्वरी मंदिर जैसे अन्य स्मारक भी हैं।

पिछले साल पुरातत्व विभाग को यहां मिली थी सफलता

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्त माह में पुरातत्व विभाग को महाराष्ट्र के औरंगाबाद में सदियों पुराने मकाई (मक्का) गेट के पास टैंक जैसी संरचना पाई गई थी। एक अधिकारी ने बताया था कि टैंक जैसी संरचना मिलने के बाद राज्य पुरातत्व विभाग ऐसी संरचनाओं को खोजने के लिए खुदाई करने के लिए प्रेरित हुआ। बता दें कि  मकाई गेट का निर्माण 17वीं शताब्दी में मुगल काल के दौरान किया गया था। खाम नदी के तट पर स्थित यह गेट औरंगाबाद शहर के चारों ओर निर्मित किलेबंदी का हिस्सा है।



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