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मई में दौड़ेगी पहली वंदे मेट्रो ट्रेन: 70 फीसदी काम पूरा, पहला प्रोटोटाइप इसी माह के अंत तक होगा तैयार



अजय त्यागी 2024-04-04 10:50:22 आम सूचना

देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन - Photo : X [@TheVinodShah]
देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन - Photo : X [@TheVinodShah]
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देश की पहली वंदे मेट्रो ट्रेन मई में रेल ट्रैक पर सरपट दौड़ती दिखाई देगी। इसी माह के अंत तक पहला प्रोटोटाइप बनकर तैयार हो जाएगा। वंदे मेट्रो ट्रेन रैक में शामिल 16 कोच का 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) के महाप्रबंधक(जीएम) एस. श्रीनिवास के नेतृत्व में वंदे मेट्रो ट्रेन का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है। श्रीनिवास ने ही वंदे भारत मेट्रो ट्रेन का डिजाइन तैयार किया है।

उन्होंने दावा किया है कि पहले रैक को मई में रवाना कर दिया जाएगा। पहला प्रोटोटाइप इस महीने के अंत तक कारखाने में परीक्षण के लिए तैयार कर लिया जाएगा। 12 शेल (बाहरी ढांचा) का निर्माण किया जा चुका है, जिनकी इंटीरियर फर्नीशिंग हो रही है। 16 कोच का 70 प्रतिशत से अधिक काम पूरा कर लिया है। फिर इन कोचों को रेलवे की ओर से परीक्षण के लिए रखा जाएगा। इसके बाद इन्हें भारतीय रेल के बेड़े में सेवा के लिए भेज दिया जाएगा।

अधिकतम गति 130 किमी प्रति घंटा होगी

जीएम ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के दौरान नौ और वंदे मेट्रो ट्रेनों का निर्माण किया जाएगा। वंदे मेट्रो ट्रेन को 250 किलोमीटर की दूरी तय करने वाले इंटरसिटी यात्रियों की सुविधा के लिए भारत की पहली स्वदेशी सेमी-हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की तर्ज पर डिजाइन किया गया है। वंदे मेट्रो ट्रेन वंदे भारत की तरह ही है। यह 16 वातानुकूलित डिब्बों वाली ट्रेन होगी, जिसकी अधिकतम गति 130 किमी प्रति घंटा होगी। यह ट्रेन इंटरसिटी यातायात के लिए उपयोगी ट्रेन साबित होगी।

हर कोच में 280 यात्रियों को ले जाने की क्षमता

हर कोच में 280 यात्रियों को ले जाने की क्षमता होगी। इनमें 100 बैठने और 180 खड़े होने वाले यात्री शामिल होंगे। पूरी ट्रेन में कुल 4,364 यात्री आसानी से सफर कर सकेंगे। 3 गुण 3 बेंच-टाइप सिटिंग अरेंजमेंट अधिकतम यात्रियों को आरामदायक सफर का लुत्फ उठाने में मदद करेगी। यात्री संचार को वरीयता देते हुए वंदे मेट्रो कोच इमरजेंसी स्थिति के मामले में ट्रेन चालक के साथ संवाद करने के लिए यात्री टॉक बैक सिस्टम से लैस होंगे। हर कोच में 14 सेंसर के साथ आग और धुआं का पता लगाने वाले सिस्टम उपलब्ध होगा। दिव्यांगजनों की सुविधा के लिए कोचों में व्हील-चेयर सुलभ शौचालय की सुविधा में मौजूद रहेगी। ट्रेन कवच प्रणाली से लैस होगी, जो टकराव को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है।