Fri, 20 September 2024 03:23:29am
झारखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह बताए कि क्या राज्य के संथाल परगना क्षेत्र में रह रहे बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों के खिलाफ संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के तहत कार्रवाई की जा सकती है। अदालत एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य में अवैध प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों के खिलाफ सीएए के तहत कार्रवाई के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी।
सीएए को हाल ही में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए लागू किया गया है, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे। न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति अरुण कुमार राय की खंडपीठ डेनियल दानिश नामक व्यक्ति द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दानिश ने पड़ोसी देश से राज्य में लोगों की घुसपैठ का मुद्दा उठाया था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि अवैध प्रवासी सीमाओं के जरिए राज्य में आए और संथाल परगना क्षेत्र के साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा, जामताड़ा और दुमका जिलों में रह रहे हैं। दानिश ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि ये प्रवासी पांच जिलों में मदरसे और बस्तियां बना रहे हैं और स्थानीय आदिवासी आबादी के अस्तित्व को प्रभावित कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि सीएए के तहत मामले में कार्रवाई के लिए राज्य सरकार नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को अधिकार है।
इसके बाद पीठ ने केंद्र के वकील प्रशांत पल्लव को निर्देश दिया कि वह इस मामले में निर्देश प्राप्त करें और केंद्र का रुख स्पष्ट करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करें। मामले में अगली सुनवाई 3 मई को होगी। इससे पहले उच्च न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को यह बताने का निर्देश दिया था कि पड़ोसी देशों के अवैध प्रवासी भारत में कैसे प्रवेश कर रहे हैं।