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इन्स्टाग्राम रील ने खोला राज़, 55 लाख की चोरी का हुआ पर्दाफाश



अजय त्यागी 2024-05-15 11:16:35 महाराष्ट्र

प्रतीकात्मक फोटो : Internet
प्रतीकात्मक फोटो : Internet

मुंबई पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इन्स्टाग्राम पर रील की मदद से 55 लाख रुपए की चोरी का खुलासा किया है। मामले में पुलिस ने दो बहनों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि दोनों बहनें यहां एक बुजुर्ग दंपती के घर में काम करती थीं। दोनों ने प्लान के तहत बुजुर्ग दंपति के घर से 55 लाख रुपये के जेवर, महंगे कपड़े और अन्य कीमती सामान चुरा लिया था। उसके बाद इन महंगे कपड़ों और जेवर को पहनकर रील्स बनाईं और सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर दिए। पुलिस ने रील्स की मदद से पूरे घटनाक्रम से पर्दा उठाया है।

कालाचौकी पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि जिन दो बहनों को गिरफ्तार किया गया है, उनका नाम छाया वेटकोली (24) और भारती वेटकोली (21) है। दोनों ने कथित तौर पर चुराए गए जेवर और कपड़े पहनकर वीडियो बनाए और उन्हें इंस्टाग्राम पर अपलोड कर दिया। इससे पहले दंपति ने घर से जेवर, कपड़े और विदेशी मुद्रा समेत नकदी गायब होने की शिकायत दर्ज कराई थी।

जेवर और महंगे कपड़े पहनकर रील्स बनाती थीं दोनों बहनें

पुलिस का कहना है कि मामले में बुजुर्ग दंपती के बयान दर्ज किए गए। दंपति ने बताया कि उनके घर में दो बहनें काम करती थीं। पुलिस ने दोनों के बारे में पता किया तो सामने आया कि दंपति की दोनों घरेलू सहायिकाएं अक्सर जेवर और महंगे कपड़े पहनकर रील्स अपलोड करती हैं। बुजुर्ग दंपति से महंगे कपड़ों और जेवर की पहचान करवाई गई, उसके बाद पुलिस की टीम ने दोनों बहनों की लोकेशन ट्रेस की तो वो रायगढ़ में पाई गईं। अधिकारी ने बताया कि दो दिन पहले दोनों आरोपी बहनों को रायगढ़ जिले से पकड़ा गया और उनके कब्जे से 55 लाख रुपये का कीमती सामान बरामद किया गया है।

आरोपी दोनों बहनों पर एफआईआर दर्ज  

पुलिस ने बताया कि दोनों बहनों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 381 (क्लर्क या नौकर द्वारा चोरी करना) समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोनों बहनों से पूछताछ की जा रही। आगे की जांच के बाद एक्शन लिया जाएगा।  

धारा 381 के तहत क्या है सजा का प्रावधान  

आईपीसी की धारा 381 के तहत क्लर्क या सेवक द्वारा स्वामी या नियोक्ता की संपत्ति की चोरी करने पर सजा का प्रावधान है। दोषी पाए जाने पर सात साल तक का कारावास और आर्थिक दंड के रूप में जुर्माने की सजा का प्रावधान है। यह एक गैर-जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मेजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।



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