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हीटवेव - हर साल 1.53 लाख से ज्यादा की मौत, हर पांच में से एक मौत भारत में, शोध में किया दावा



अजय त्यागी [Input - amarujala.com] 2024-05-15 06:27:41 समीक्षा

प्रतीकात्मक फोटो : amarujala.com
प्रतीकात्मक फोटो : amarujala.com

ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्विद्यालय की एक शोध के अनुसार दुनियाभर में लू (हीटवेव) के कारण हर साल 1.53 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इस अध्ययन में भारत के लिए चिंताजनक रिपोर्ट सामने आई है। बताया गया है कि 1.53 लाख लोगों की मौत में पांचवा सबसे बड़ा हिस्सा भारत से है। यानी हर पांच में एक मौत भारत में हो रही है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो भारत में हर वर्ष लू से करीब 30,000 लोगों की मौत हो रही है। शोध के अनुसार ये आंकड़े 1990 के बाद के 30 वर्षों के हैं।

भारत के बाद चीन और रूस में सबसे ज्यादा मौत

शोध में बताया गया है कि हर वर्ष होने वाली 1.53 लाख मौतों में से 14 प्रतिशत लोगों की मौत चीन में होती हैं, जबकि रूस में 8 प्रतिशत लोगों की मौत होती है। रिसर्च में चीन और रूस को भारत के बाद रखा गया है। हर वर्ष गर्मी के मौसम में 1.53 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें से 50 प्रतिशत लोगों की मौत एशिया, जबकि 30 फीसदी लोगों की मौत यूरोप महाद्वीप में होती हैं। इसके अलावा, सबसे बड़ी अनुमानित मृत्यु दर शुष्क जलवायु और निम्न-मध्यम आय वाले क्षेत्रों में देखी गई है। ऑस्ट्रेलिया के मोनाश विश्विद्यालय का शोध कोपीएलओएस मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। 

दुनिया भर में लू से प्रति वर्ष 153,078 लोगों की मौत

शोध में बताया गया है कि दुनियाभर में 1990 से 2019 के बीच प्रति वर्ष 153,078 लोगों की मौत होती है। यह आंकड़ा कहता है कि दुनियाभर में प्रति दस लाख लोगों में से 236 लोगों की मौत लू की वजह से होती है। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए ब्रिटेन स्थित मल्टी-कंट्री मल्टी-सिटी (एमसीसी) अनुसंधान नेटवर्क के आंकड़ों का इस्तेमाल किया। इनमें 43 देशों की 750 जगहों में हर दिन होने वाली मौतों का अध्ययन शामिल है। 

हर दशक बढ़ रहा है धरती का तापमान

अध्ययन में बताया गया है कि 1999 से लेकर 2019 के बीच दुनियाभर में अत्यधिक लू चलने के औसत दिनों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह आंकड़ा औसत 13.4 दिन से बढ़कर 13.7 दिन हो गया है। इसके अलावा यह भी पाया गया है कि पृथ्वी पर हर दशक में तापमान भी .35 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है।  शोधकर्ताओं ने कहा कि इससे पहले हुए अध्ययनों ने स्थानीय स्तर पर लू के कारण मौतों के बारे में बताया लेकिन उनमें दुनिया भर में होने वाली मौतों का आंकड़ा जारी नहीं किया गया था।



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