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इन्सानी लापरवाही के चलते तेजी से बढ़ रहा कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन, नहीं संभले तो बढ़ेगा संकट



अजय त्यागी 2024-05-19 06:50:57 आम सूचना

कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन - प्रतीकात्मक फोटो : Internet
कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उत्सर्जन - प्रतीकात्मक फोटो : Internet

जलवायु इतिहास में अब तक की सबसे तेज मानवजनित कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन (CO 2) की दर रिकॉर्ड की गई है। यह दर पिछले 50 हजार वर्षों की तुलना में 10 गुना तेज है। शोधकर्ताओं की अंतरराष्ट्रीय टीम ने प्राचीन अंटार्कटिका की बर्फ का गहन रासायनिक विश्लेषण करके यह पता लगाया है। 

नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित अध्ययन पृथ्वी के अतीत में अचानक हुए जलवायु परिवर्तन की अवधि के बारे में अहम खुलासा करता है। वैज्ञानिकों ने पिछला रिकॉर्ड पता लगाने के लिए 3.2 किमी गहराई तक ड्रिलिंग कर वहां से एकत्र किए गए बर्फ के नमूनों का उपयोग किया। 

जिसमे पता चला कि सैकड़ों हजारों वर्षों में अंटार्कटिका में बनी बर्फ में हवा के बुलबुलों में फंसी प्राचीन वायुमंडलीय गैसें भी हैं। सीओ 2 ग्रीनहाउस गैस है जो वायुमंडल में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। जब यह वायुमंडल में प्रवेश करती है तो ग्रीनहाउस प्रभाव के कारण जलवायु को गर्म कर देती है। अतीत में हिमयुग चक्रों और अन्य प्राकृतिक कारणों से सीओ 2 के स्तर में उतार-चढ़ाव होता रहा है, लेकिन आज मानवजनित उत्सर्जन के कारण यह तूफानी रफ्तार से बढ़ रहा है।  

ये इन्सानी गतिविधियां वजह 

बिजली की खपत : जीवाश्म ईंधन से सीओ 2 उत्सर्जित होती है, कोयले से पेट्रोलियम की तुलना में दोगुनी गैस निकलती है। दुनियाभर में जीवाश्म ईंधन से 85 फीसदी बिजली पैदा होती है।

परिवहन : यह सीओ 2 उत्सर्जन का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है।

उद्योग : औद्योगिक इकाइयां बहुत अधिक सीओ 2 उत्सर्जित करती हैं। 

वनों की कटाई : पेड़ हवा से सीओ 2 उत्सर्जन को अवशोषित करने और हटाने के लिए सबसे शक्तिशाली माध्यम हैं। इनकी कटाई भी उत्सर्जन बढ़ा रही है। 

77 फीसदी हिस्सा सीओ 2 का 

कुछ वैज्ञानिक नाइट्रोजन ट्राइफ्लोराइड, मीथेन और कालिख के बढ़ते वायुमंडलीय स्तर पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर रहे हैं, इसके बावजजूद सीओ 2 का तेज उत्सर्जन चिंता का विषय है। सीओ 2 मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का 77 फीसदी हिस्सा है। इतनी तीव्र गति से हो रहा है उत्सर्जन भविष्य के लिए खतरे की घंटी है। ऐसे में प्रकृति कब अपना रौद्र रूप दिखा दे कहना कठिन है। 



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