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बदलते परिवेश में पत्रकारिता के नवीन आयामों से रूबरू करवाता नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन



अजय त्यागी 2024-05-22 10:33:19 मोटिवेशनल

ऑनलाइन मुफ्त पत्रकारिता प्रशिक्षण
ऑनलाइन मुफ्त पत्रकारिता प्रशिक्षण

सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा के मानस पुत्र देवर्षि नारद जिन्हें ब्रह्माण्ड का संदेशवाहक कहा जाता है उन्हें ही इस दुनिया के प्रथम ज्ञात पत्रकार की संज्ञा भी दी गई है। जैसे नारद मुनि किसी एक जगह नहीं रुकते थे, समाज के हर क्षेत्र में, यहां तक की तीनो लोकों में जाने की उनको स्वीकृति थी वैसे ही एक पत्रकार को खोजी स्वभाव का और सत्य के प्रति निष्ठावान होना चाहिए। सत्य सत्य है। ऐसा नहीं है कि मेरा सत्य अलग, तुम्हारा सत्य अलग और किसी और का सत्य अलग। अंतर तो केवल दृष्टिकोण का है। यह कहना है बनारस, उत्तर प्रदेश के श्री चंद्रभूषण मिश्र कौशिक का। कौशिक राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकार कल्याण एवम् पत्रकारिता पर कार्य करने वाले संगठन नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से आयोजित ऑनलाइन मुफ्त पत्रकारिता प्रशिक्षण को संबोधित कर रहे थे। 

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को एक जीवन शैली के रूप में अपनाया जाना चाहिए ना कि जीवन यापन के लिए। क्योंकि इससे पत्रकारिता का उद्देश्य धूमिल होता है। किसी खबर की प्रमाणिकता के लिए तथ्यों की प्रमाणिकता जरूरी है। बिना तथ्यों पर आधारित पत्रकारिता पत्रकार को अकेला खड़ा कर देती है। उन्होंने आगे कहा कि एक पत्रकार को स्थान, काल और परिस्थिति को ध्यान में रख कर बोलना चाहिए। एक पत्रकार द्वारा शासन-प्रशासन की व्यवस्था की खामियों, भ्रष्टाचार, समाज की कुरीतियों, विसंगतियों, और शोषण पर संग्रहीत की हुई खबर को जब देश के किसी भी अखबार में प्रकाशित किया जाता है या मीडिया के जरिए दिखाया जाता है तो यह वास्तव में न केवल उस एक पत्रकार की जीत है अपितु यह समस्त पत्रकारिता जगत की अमूल्य कला की जीत है।

बता दें कि, नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से आयोजित इस ऑनलाइन मुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देश के 8 राज्यों से प्रतिभागियों का चयन हुआ है। इसमें प्रथम व्याख्यान श्री चंद्रभूषण मिश्र कौशिक जी ने सोमवार को दिया।

दरअसल, आज के बदलते परिवेश में समय के साथ परिवर्तित होती पत्रकारिता की शैली, पत्रकारों के लिए बढती चुनौतियां और पत्रकारिता का आधुनिकीकरण आदि विषयों पर पत्रकारों को मुफ्त प्रशिक्षण देने के लिए नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा मगध समाज कल्याण प्रतिष्ठान के सहयोग से सात दिवसीय मुफ्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। 

इसी क्रम में मंगलवार को कार्यक्रम के दुसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में श्री राकेश धारी सिंह पटना, बिहार  से उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि पत्रकारिता केवल किताबों तक ही नहीं बल्कि भिन्न-भिन्न परिस्थितियों का सामना करके किसी भी घटना को सही ढंग से सोच विचार कर, सटीक दृष्टिकोण से समझते हुए, सही परिणाम का आधार है। उन्होंने कहा की पत्रकारिता को नौकरी, पेशे या पद के हिसाब से ना अपना कर एक सामाजिक सेवा के रूप में अपनाया जाए, तो इसके सकारात्मक परिणाम होंगे।  

उन्होंने बताया की एक पत्रकार को किसी भी घटनास्थल पर धर्म-जाति का भेदभाव ना करते हुए केवल घटना को महत्व देना चाहिए। पत्रकार को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए हर खबर को एक नया रूप देने से पहले घटना स्थल पर जाकर अच्छी व सच्ची घटना को ही एक खबर का रूप देना चाहिए। जिसे पढ़ कर या सुनकर पाठक प्रेरित हो सकें। 

मुख्य वक्ता ने कहा कि किसी भी पत्रकार को अपनी खबर प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सोशल मीडिया पर प्रकाशित करने से पहले क्रॉस चेक या पुनः परीक्षण कर लेना चाहिए जिससे आगे चलकर किसी भी प्रकार के विवाद का सामना ना करना पड़े। पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को समय-समय पर हर खबर से अपडेट (पूर्व संस्करण) रहना चाहिए। 

सात दिवसीय पत्रकारिता प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन बुधवार को कार्यक्रम का आगाज प्रशिक्षक हाजीपुर, बिहार के वरिष्ठ पत्रकार, कवि,साहित्यकार एवम दूरदर्शन केन्द्र पटना के प्रोग्राम एंकर डॉ.संजय विजित्वर ने किया। सर्वप्रथम नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव श्री कुमुद रंजन सिंह ने डॉ. संजय विजित्वर का परिचय प्रशिक्षणार्थियों को कराते हुए कहा की डॉ. संजय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक जाना पहचाना नाम हैं। इन्होंने अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत रेडियो से की थी एवम् सन् 2000 से डीडी 1 पर एंकरिंग की शुरुआत की। कुमुद रंजन जी ने बताया की डॉ. संजय न सिर्फ एक पत्रकार हैं बल्कि एक कवि और साहित्यकार भी हैं तथा उनकी चार एकल पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उनका एक यूट्यूब चैनल भी है।

प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए डॉक्टर संजय ने कहा कि हम आदिपत्रकार नारद मुनि की मानस संताने हैं। उन्होंने कहा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का सबसे पहला उदाहरण महाभारत काल का है। जब संजय धृतराष्ट्र को महल में बैठे हुए कुरुक्षेत्र के युद्ध का लाइव टेलीकास्ट सुना रहे थे। यह एक प्रकार से सूचना(समाचार) का लाइव टेलीकास्ट ही था जो वह अपनी दिव्य दृष्टि, जोकि महर्षि वेदव्यास के द्वारा प्रदान की गई थी, से धृतराष्ट्र को सुना रहे थे। इस प्रकार संजय दूरदर्शन पत्रकारिता के आदि पुरुष हैं। डॉ. संजय ने आगे कहा की पत्रकारिता कोई आसान कार्य नहीं है। एक पत्रकार को समाज के हर तबके का हितैषी बनना पड़ता है। एक पत्रकार में उतावलापन नहीं होना चाहिए। उसमें धैर्य और निष्पक्ष भाव से समाज के सभी वर्गों को समझने और उनकी बात को धैर्य पूर्वक सुनने का गुण होना चाहिए। 

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एक पत्रकार में जरूरी विशेष गुणों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा की इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता करने के लिए शब्दों के आरोह अवरोह की कला में पारंगत होना चाहिए। जिस प्रकार सरगम के सात सुरों को साधा जाता है ठीक वैसे ही एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार को अपनी खबर के हर एक शब्द को सटीक और बंधे हुए ढंग से प्रस्तुत करने की कला में पारंगत होना चाहिए। उसमें दिखावे की भावना नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर संजय के अनुसार पत्रकार एक साइकोलॉजिस्ट होता है जिसे सामने वाले के मन की बात को जानने की कला आती है। 

आज के समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पत्रकारिता में आयी विसंगतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल पत्रकार बनने की होड़ लग गई है। उन्होंने कहा कि जैसे कहावत है कि अध जल गगरी छलकत जाए वैसे ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चकाचौंध देखकर आजकल का युवा पत्रकारिता का प्रोफेशन अपना लेता है भले ही उसमें एक पत्रकार बनने के मूलभूत गुण नहीं होते। वह सिर्फ दिखावे में ही संतुष्ट रहता है। 

प्रशिक्षण के दौरान मंच का संचालन गीता जी और सुप्रिया जी ने व्यवस्थित ढंग से किया। प्रशिक्षण में, प्रेरणा बूराकोटी, राहुल, कृष्णा कुमार द्विवेदी , मो.मुख्तादिर फिरदोशी, लक्ष्मी दीक्षित, कुमुद वर्मा, राजा कुमार, शशि प्रकाश, योगेंद्र प्रताप, आदि शामिल रहे।



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