Fri, 20 September 2024 03:26:35am
ओडिशा के पुरी में शनिवार को भगवान श्रीजगन्नाथ के शुभ स्नान समारोह (स्नान जात्रा) का भव्य आयोजन किया गया। देव स्नान पूर्णिमा के पावन मौके पर आयोजित होने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान को देखने देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे थे। इस उत्सव का धार्मिक महत्व इसलिए भी है, क्योंकि माना जाता है कि आज के दिन भगवान श्रीजगन्नाथ का जन्म हुआ।
अनुष्ठान की शुरुआत में भगवान श्रीजगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन देवी सुभद्रा और चक्रराज सुदर्शन के साथ मंदिर के गर्भगृह से स्नान मंडप पर लाए गए, जहां 108 घड़ों के पवित्र जल से सभी का अभिषेक किया गया। इस दौरान भगवान श्रीजगन्नाथ का 35 घड़ों के जल से अभिषेक किया गया, जबकि भगवान बलभद्र का 33, देवी सुभद्रा का 22 और चक्रराज सुदर्शन का 18 घड़ों से अभिषेक हुआ। इससे पहले, जल में हर्बल सुगंधित इत्र मिलाया गया। यह अनुष्ठान वार्षिक रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है।
जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता पंडित सूर्यनारायण रथशर्मा ने बताया कि गजपति महाराज (पुरी के राजा दिव्यसिंह देब) ने स्नान अनुष्ठान के तुरंत बाद स्नान मंडप में छेरा पन्हारा (झाडू लगाने) की रस्म निभाई। इसके बाद, देवताओं को हाथी बेसा पहनाया गया। इस विशेष पोशाक को राघबा दास मठ और गोपाल तीर्थ मठ के कारीगर तैयार करते हैं।
अनासर गृह में गए श्री जगन्नाथ
इसके बाद भगवान श्रीजगन्नाथ, मंदिर में स्थित एक विशेष आवास में चले गए, जिसे अनासर गृह कहा जाता है। अब 14 दिनों तक भगवान अपने भक्तों से दूर रहेंगे। माना जाता है कि अत्यधिक स्नान से वे अस्वस्थ हो जाते हैं और स्वास्थ्य लाभ के लिए एकांतवास में चले जाते हैं। अब रथ यात्रा से ठीक पहले नबजौबन दर्शन के अवसर पर वे भक्तों को फिर दर्शन देंगे। इस साल रथ यात्रा 7 जुलाई से शुरू होकर 16 जुलाई को संपन्न होगी।
सुरक्षा चाक चौबंद
इस समारोह के लिए व्यापक सुरक्षा प्रबंध किए थे। पुलिस की करीब 68 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 जवान) तैनात की गई थीं। अधिकांश भक्तों ने मंदिर के सामने की सड़क बड़ा डंडा से देवताओं के दर्शन किए।
इस समारोह के साक्षी बनने यहां पहुंचे एक रूसी नागरिक ने कहा कि स्नान जात्रा भगवान श्रीजगन्नाथ के दर्शन करने का एक अद्भुत अवसर है। वे सभी लोगों को दिव्य प्रेम में एकजुट करते हैं। वे ब्रह्मांड के स्वामी हैं। कलयुग में वे अपनी बड़ी आंखों से सभी को एकजुट करते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम एक बड़ा परिवार है और भगवान जगन्नाथ सर्वोच्च देवता हैं। वहीं, बांग्लादेश से आए एक अन्य नागरिक ने कहा कि हम हर साल देव स्नान पूर्णिमा के दौरान भगवान के दर्शनों को यहां आते हैं। पुराणों में लिखा है कि जो लोग इसे देखेंगे उन्हें मोक्ष मिलेगा।