Fri, 20 September 2024 03:34:42am
तकनीक और वैज्ञानिक पद्धति के साथ अच्छी खेती करने वाले किसानों को सरकार ने उद्यमी के तौर पर तैयार करने का फैसला लिया है। इसके लिए देश के हर जिले में एक टीम का गठन किया जाएगा। इस टीम में कृषि वैज्ञानिक, इंडस्ट्री एक्सपर्ट, कृषि विभाग और प्रशासन के अफसर शामिल होंगे। इसके अलावा किसानों को भी इस टीम का हिस्सा बनाया जाएगा। इनमें किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), कृषि सखी, पशु सखी, ड्रोन दीदी, स्वयं सहायता समूह के तहत अच्छा काम करने वाले किसानों और महिलाओं को भी जोड़ा जाएगा।
केंद्र सरकार की पहल पर राज्य सरकार और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधीन आने वाले सभी कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिक मिलकर इसके लिए काम करेंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. उधम सिंह गौतम ने बताया कि देशभर में 731 कृषि विज्ञान केंद्र यानी केवीके संचालित हो रहे हैं। इन केंद्रों पर तैनात कृषि वैज्ञानिकों की मदद से किसानों को उद्यमी बनाने और फसलों को बर्बाद होने से बचाने का खाका तैयार किया जा रहा है।
बाजार की डिमांड पहले ही चलेगी पता
डॉ. गौतम ने कहा कि किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान फसलों की बुवाई और अधिक पैदावार से होता है। जिले स्तर पर जो टीम बनेगी वो हर सीजन में बुवाई से पहले बैठक शुरू कर देगी। इसमें पिछले आंकड़ों का अध्ययन कर फसल की जिले में डिमांड और खपत का पता करेगी। इससे तय किया जाएगा कि आगामी सीजन में किस फसल की कितनी बुवाई करनी चाहिए?
निर्यात पर होगा फोकस
मांग के अनुसार ही फसलों की बुवाई करवाई जाएगी। खपत से बचने वाले उत्पादों को निर्यात या फिर प्रोसेसिंग की श्रेणी में लाया जाएगा। कुछ किसानों का चयन किया जाएगा, जो निर्यात के लायक फसलों का उत्पादन करेंगे। कुछ किसानों के उत्पादों की प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और पैकेजिंग करके बाजार में उतारने का काम होगा। तकनीक आधारित खेती करने वाले किसानों का चयन होगा। पशुपालन, मछलीपालन, मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।