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साहित्य प्रेमी चोर! लेखक के घर की जानकारी होने पर माफ़ी मांगकर चोरी किया सामान लौटाया 



अजय त्यागी 2024-07-16 01:23:53 महाराष्ट्र

मराठी के मशहूर लेखक नारायण सुर्वे - File Photo : Internet
मराठी के मशहूर लेखक नारायण सुर्वे - File Photo : Internet

महाराष्ट्र में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल एक चोर ने पहले एक घर में चोरी की, लेकिन जब उसे पता चला कि यह घर एक मशहूर मराठी लेखक का है तो चोर को पश्चाताप हुआ और उसने माफी मांगकर चोरी का सामान लौटा दिया। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और चोर का पता लगाने की कोशिश कर रही है। 

नारायण सुर्वे के रायगढ़ स्थित घर में चोरी
पुलिस ने बताया कि रायगढ़ जिले के नरेल में स्थित एक घर में चोर ने एलईडी टीवी समेत अन्य कीमती सामान चुरा लिया। यह घर मराठी के मशहूर लेखक नारायण सुर्वे का था। सुर्वे का 16 अगस्त 2010 को 84 साल की उम्र में निधन हो गया था। सुर्वे एक मशहूर लेखक के साथ ही सामाजिक कार्यकर्ता थे। मुंबई में जन्मे सुर्वे की कविताओं में शहरी मजदूर वर्ग के संघर्ष को जीवंत रूप से दर्शाया गया है। पुलिस ने बताया कि अब रायगढ़ स्थित सुर्वे के घर में उनकी बेटी सुजाता और उनके पति गणेश घारे रहते हैं। वह अपने बेटे के पास विरार गए हुए थे, जिसकी वजह से घर 10 दिनों से बंद था। 

पछतावे के बाद चोर ने लौटाया सामान
घर के बंद होने का फायदा उठाते हुए एक चोर ने घर से एलईडी टीवी समेत अन्य कीमती सामान चुरा लिया। अगले दिन चोर कुछ और सामान लेने वापस आया तो उसे एक कमरे में नारायण सुर्वे की तस्वीर दिखी। जिससे चोर को पता चला कि जिस घर में उसने चोरी की, वह नारायण सुर्वे का है। वह चोर पढ़ा-लिखा और शायद नारायण सुर्वे का प्रशंसक रहा होगा, जिससे उसे सुर्वे के घर में चोरी का पछतावा हुआ। इसके बाद चोर ने चोरी किया हुआ सारा सामान वापस घर में लाकर रख दिया और साथ ही एक नोट भी चिपकाया, जिसमें चोर ने महान साहित्यकार के घर में चोरी करने के लिए माफी मांगी। 

पुलिस जांच में जुटी
रविवार को सुर्वे की बेटी सुजाता अपने पति के साथ रायगढ़ लौटीं तो उन्होंने घर के अंदर नोट चिपका देखा, तो पुलिस को इसकी सूचना दी। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की और एलईडी और अन्य सामान से फिंगरप्रिंट लिए हैं। इन फिंगरप्रिंट के आधार पर चोर को पकड़ने की कोशिश की जाएगी। प्रसिद्ध मराठी लेखक सुर्वे, लेखक बनने से पहले मुंबई की सड़कों पर एक अनाथ के रूप में पले-बढ़े थे, फिर उन्होंने घरेलू सहायक, होटल में बर्तन धोने वाले, बच्चों की देखभाल करने वाले, पालतू कुत्तों की देखभाल करने वाले, दूध देने वाले, कुली और चक्की चलाने वाले के रूप में काम करके अपना गुजारा किया। शायद यही वजह है कि उनकी रचनाओं में शहरी मजदूर वर्ग के हालात का बड़ा ही सजीव और जीवंत वर्णन किया गया है। 



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