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आतंकियों से बरामद हुई स्टेयर एयूजी राइफल, अफगानिस्तान में नाटो के सैनिक इसका करते थे प्रयोग



अजय त्यागी 2024-07-20 02:49:11 जम्मू और कश्मीर

सुरक्षाबल - File Photo : Internet
सुरक्षाबल - File Photo : Internet

कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में गुरुवार को मारे गए दो विदेशी आतंकियों से ऑस्ट्रिया निर्मित बुलपप असॉल्ट राइफल, स्टेयर एयूजी बरामद की गई है। इस तरह की राइफलों का प्रयोग अफगानिस्तान में नाटो देश की सेनाओं द्वारा किया जाता था। आधिकारिक सूत्रों ने इसे दुर्लभ बरामदगी बताया है।

लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर घुसपैठ की कोशिश करने वाले दहशतगर्दों से इन राइफलों के साथ युद्ध जैसे गोला-बारूद का जखीरा मिला है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया कि संभवत: यह पहली बार है कि ऐसी राइफल बरामद की गई है। यह एक भारी हथियार है जिसे संभालना आसान नहीं है। इसलिए इससे पहले दिखी भी नहीं। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि अन्य बलों के अलावा, इस राइफल का इस्तेमाल अफगानिस्तान में नाटो बलों द्वारा किया गया है, इसलिए संभवत: यह वहां से पाकिस्तान पहुंची होगी।

सेना के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि गुरुवार को केरन सेक्टर में एलओसी पार से आतंकी घुसपैठ की कोशिश को सुरक्षाबलों ने नाकाम कर दिया था। भीषण गोलीबारी में दो विदेशी आतंकी मारे गए थे। इनके पास से हथियारों के जखीरे के अलावा एक पाकिस्तानी पहचान पत्र भी बरामद हुआ था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में एलओसी पर यह तीसरा सफल घुसपैठ विरोधी अभियान था।

पाकिस्तानी सेना और दहशतगर्दों का गठजोड़ सामने आया
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ऑस्ट्रिया निर्मित बुलपप असॉल्ट राइफल, स्टेयर एयूजी का इस्तेमाल अफगानिस्तान में नाटो बलों द्वारा किया जाता था और जब 2021 में एक समझौते के तहत नाटो बल वहां से निकले तो कई हथियार तालिबानियों द्वारा लूट लिए गए अथवा वहीं छोड़ दिए गए। बाद में ऐसे हथियार अवैध रूप से बेच दिए गए। यह राइफल पाकिस्तान में एसएसजी द्वारा भी इस्तेमाल की जा रही है। इसलिए मारे गए आतंकियों से ऐसी राइफल का मिलना पाकिस्तानी सेना और दहशतगर्दों के बीच गठजोड़ को उजागर करता है।

2017 में पहली बार मिली थी अमेरिकी एम4 राइफल
इससे पहले भी वर्ष 2017 में अमेरिका निर्मित कई हथियार आतंकियों से बरामद किये गए थे, जिसमें एम-4 कार्बाइन पहली बार बरामद हुई थी। यह कार्बाइन राइफल 1962 में बनी एम16 का एडवांस वर्जन है। यह 1990 में बनी थी और इसे भी अफगानिस्तान में अमेरिकी व नाटो फोर्स इस्तेमाल कर रही थी।



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