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कैमूर में हुई गिरफ्तारी ने खोला बड़ा राज, जानिए कैसे 9 लाख रुपये में पास हो रही थी सिपाही भर्ती परीक्षा



अजय त्यागी 2024-08-08 03:20:11 बिहार

पुलिस की गिरफ्त में आरोपीगण
पुलिस की गिरफ्त में आरोपीगण
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बिहार पुलिस सिपाही भर्ती परीक्षा के पहले दिन अलग-अलग जिलों में कई गिरफ्तारियां हुई हैं। कैमूर में भी पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा है। बुधवार (07 अगस्त) को सिपाही भर्ती परीक्षा के पहले दिन पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी जिसके बाद उक्त कार्रवाई की गई। पकड़े गए दोनों आरोपित सेटर बताए जा रहे हैं। आरोपियों ने 9 लाख रुपए में सॉल्वर को बैठा कर परीक्षा पास कराने के लिए बात तय कर रखी थी। गिरफ्तार आरोपियों में भगवानपुर थाना क्षेत्र के परमालपुर गांव का नारद पाल उर्फ नीतीश कुमार और कुदरा थाना क्षेत्र के लालापुर गांव का पिंटू पाल उर्फ प्रकाश कुमार है।

हॉस्टल से हुई पिंटू पाल की गिरफ्तारी
पिंटू पाल मामले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। पिंटू के मोबाइल में 50 परीक्षार्थियों का एडमिट कार्ड पाया गया। इसी की निशानदेही पर आगे भी गिरफ्तारियां अन्य जिलों में हुई हैं। कैमूर एसपी ने भभुआ डीएसपी के नेतृत्व में टीम का गठन किया था। पूरे मामले पर कैमूर एसपी ललित मोहन शर्मा ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि सिपाही भर्ती परीक्षा में सेटिंग करने वाले कुछ लोग कैमूर पहुँच गए हैं। इस पर सभी होटलों की तलाशी ली गई। पुलिस को पिंटू पाल का नंबर उपलब्ध हुआ जिसके आधार पर भभुआ शहर के सुवरा नदी के पास स्थित हॉस्टल की तलाशी ली गई जहाँ से पिंटू पाल की गिरफ्तारी हुई।

इनका नेटवर्क खंगालने में जुटी पुलिस
एसपी ललित मोहन शर्मा ने कहा कि पिंटू पाल की निशानदेही पर परमालपुर से नारद पाल की गिरफ्तारी हुई है। इसके मोबाइल में 50 परीक्षार्थियों का एडमिट कार्ड मिला। पूछताछ में आरोपियों ने स्वीकार किया कि प्रति परीक्षार्थी 9 लाख लेकर परीक्षा पास कराते हैं। फिलहाल पुलिस इनके पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है। इन लोगों के मोबाइल जब्त कर लिए गए हैं। मामले में कई और लोगों की गिरफ्तारी होने की भी संभावना है।

आरोपियों से पूछताछ में सामने आया कि ये लोग कई लोगों से फर्जी फॉर्म भरवाते थे और इसके रोल नंबर के आगे और पीछे वाले अभ्यर्थियों से संपर्क करते थे। उन्हें पास कराने का झांसा देते थे। इसके लिए 9 लाख तक में डील होती थी। फॉर्म भरे अपने लोगों की जगह पर सॉल्वर को बैठा देते थे और वह उस कैंडिडेट के आगे और पीछे वाले अभ्यर्थी का क्वेश्चन पेपर सॉल्व कर देता था।

पिछले साल की घटनाएं
पिछले साल भी बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा में धांधली के मामले सामने आए थे। पटना में भी कई लोग गिरफ्तार हुए थे जो परीक्षा में सॉल्वर बैठाने का काम कर रहे थे। इसमें कई कोचिंग सेंटर के मालिक और कुछ सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे। उस समय भी उम्मीदवारों से मोटी रकम वसूलकर उन्हें पास कराने का वादा किया गया था। इन मामलों में पुलिस ने सख्त कार्रवाई की थी और कई गिरफ्तारियां की थीं।

भर्ती परीक्षा में धांधली का इतिहास
बिहार में सिपाही भर्ती परीक्षा में धांधली का इतिहास काफी पुराना है। 2015 में पटना में बड़े स्तर पर परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया था। उस समय भी सॉल्वर गैंग सक्रिय था। इस गैंग ने कई उम्मीदवारों को पैसे लेकर पास कराने का वादा किया था। पुलिस ने तब भी बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां की थीं और गैंग का पर्दाफाश किया था।

2017 में भी इसी प्रकार का एक मामला सामने आया था जब बिहार में टीईटी परीक्षा में सॉल्वर गैंग पकड़ा गया था। उस समय भी कई उम्मीदवारों को पैसे लेकर पास कराने का मामला सामने आया था। पुलिस ने तब भी कड़ी कार्रवाई की थी और कई लोग गिरफ्तार किए गए थे।