Fri, 20 September 2024 03:34:33am
मंकीपॉक्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त 2024 को अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है। इस गंभीर स्थिति के मद्देनज़र, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने आज वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक में मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक तैयारियों का विस्तृत जायजा लिया।
मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आज एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में भारत में मंकीपॉक्स की स्थिति और इससे निपटने के लिए की जा रही तैयारियों की समीक्षा की गई। राहत की बात यह है कि वर्तमान में भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए कुछ महत्वपूर्ण उपाय किए जाएंगे। इन उपायों में देश के सभी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और ज़मीनी सीमाओं पर स्वास्थ्य इकाइयों को जागरूक करना, 32 प्रयोगशालाओं को परीक्षण के लिए तैयार करना, और किसी भी संभावित मामले की पहचान, अलगाव और प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं को सक्षम करना शामिल है।
बैठक में यह भी बताया गया कि मंकीपॉक्स संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह तक रहता है और ज्यादातर मरीज सहायक देखभाल से ठीक हो जाते हैं। यह संक्रमण आमतौर पर संक्रमित व्यक्ति के साथ लम्बे समय तक निकट संपर्क, यौन संपर्क, संक्रमित व्यक्ति के शरीर या घाव के तरल के सीधे संपर्क, या संक्रमित कपड़े/लिनन के संपर्क से फैलता है।
WHO ने पहले जुलाई 2022 में मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था, जिसे मई 2023 में वापस ले लिया गया था। 2022 से अब तक, 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई हैं। भारत में 2022 के बाद कुल 30 मामले सामने आए, जिनमें से आखिरी मामला मार्च 2024 में दर्ज किया गया था।
16 अगस्त 2024 को स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में एक संयुक्त निगरानी समूह की बैठक आयोजित की गई, जिसमें एनसीडीसी, WHO, आईसीएमआर, एनवीबीडीसीपी, एम्स और केंद्रीय सरकारी अस्पतालों के विशेषज्ञ शामिल थे। बैठक में विशेषज्ञों ने आकलन किया कि अगले कुछ हफ्तों में कुछ आयातित मामलों की संभावना को पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है, लेकिन भारत में बड़े पैमाने पर फैलने का जोखिम वर्तमान में कम है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा स्थिति पर नज़दीकी नज़र रखी जा रही है और आवश्यकतानुसार कदम उठाए जा रहे हैं।