Fri, 20 September 2024 03:10:16am
भारत ने एक बार फिर से अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी अद्वितीय क्षमताओं का प्रदर्शन किया है। देश ने अपने पहले पुन: उपयोग योग्य हाइब्रिड रॉकेट RHUMI 1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह रॉकेट तमिलनाडु स्थित स्टार्टअप कंपनी स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप के सहयोग से विकसित किया गया है। इस ऐतिहासिक लॉन्च के माध्यम से, भारत ने न केवल अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को एक नई दिशा दी है, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में भी अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है।
स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप का संयुक्त प्रयास
RHUMI 1 रॉकेट को चेन्नई के थिरुविदानधई से मोबाइल लॉन्च की सहायता से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस रॉकेट की सबसे खास बात यह है कि इसमें 3 क्यूब सैटेलाइट्स और 50 PICO सैटेलाइट्स को सब-ऑर्बिटल ट्रैजेक्टरी में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है। इस रॉकेट की डिजाइन और निर्माण में स्पेस जोन इंडिया और मार्टिन ग्रुप का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
किफायती अंतरिक्ष अभियानों की ओर कदम
इस हाइब्रिड रॉकेट में CO2 ट्रिगर पैराशूट सिस्टम लगा हुआ है, जो इसे पुन: उपयोग योग्य बनाता है। यह प्रणाली रॉकेट के विभिन्न कंपोनेंट्स को समुद्र पर सुरक्षित लैंडिंग की अनुमति देती है, जिससे अंतरिक्ष अभियानों की लागत में काफी कमी आएगी। यह तकनीक न केवल अंतरिक्ष क्षेत्र में, बल्कि कृषि, पर्यावरण निगरानी और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
अंतरिक्ष में भेजे गए क्यूब सैटेलाइट्स की भूमिका
इस रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में भेजी गईं तीन क्यूब सैटेलाइट्स वातावरणीय स्थितियों का अध्ययन करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करेंगी। ये सैटेलाइट्स कॉस्मिक रेडिएशन, यूवी रेडिएशन और वायु की गुणवत्ता जैसे मापदंडों की समीक्षा कर सकेंगी। इस डेटा का उपयोग विभिन्न अनुसंधानों और अध्ययन में किया जा सकेगा, जो कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
रॉकेट की तकनीकी विशेषताएँ और संभावनाएँ
इस रॉकेट का एयर फ्रेम कार्बन फाइबर और ग्लास फाइबर से बना हुआ है, जो इसे हल्का और मजबूत बनाता है। इसके साथ ही पाइरो तकनीक से विकसित पैराशूट इसे सुरक्षित और प्रभावी बनाता है। स्पेस जोन इंडिया के सीईओ आनंद मेगालिंगम ने बताया कि इस रॉकेट की मदद से रेडिएशन स्तर, वाइब्रेशन और तापमान आदि का डेटा इकट्ठा किया जा सकेगा।
मिसाइल में भी उपयोगी साबित हो सकती है यह तकनीक
दावा किया जा रहा है कि हाइब्रिड रॉकेट में मौजूद तकनीक का इस्तेमाल मिसाइल तकनीक को विकसित करने में भी किया जा सकता है। यह तकनीक भारत की रक्षा क्षमता को और भी सशक्त बना सकती है। इसके अलावा, इस तकनीक का उपयोग विभिन्न औद्योगिक और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का धन्यवाद
स्पेस जोन इंडिया के सीईओ आनंद मेगालिंगम ने इस प्रोजेक्ट में सहायता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की तकनीकी उपलब्धियाँ देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी सशक्त बनाएंगी।
अंतरिक्ष क्षेत्र में नई संभावनाओं की ओर भारत का कदम
RHUMI 1 रॉकेट की सफलता के साथ, भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह लॉन्च भारत के अंतरिक्ष अभियानों में न केवल एक नई दिशा प्रदान करता है, बल्कि देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत प्रतिस्पर्धी के रूप में भी स्थापित करता है।
#WATCH | India launches its first reusable hybrid rocket, RHUMI 1. The rocket, developed by the Tamil Nadu-based start-up Space Zone India and Martin Group was launched from Thiruvidandhai in Chennai using a mobile launcher. It carries 3 Cube Satellites and 50 PICO Satellites… pic.twitter.com/Io97TvfNhE
— ANI (@ANI) August 24, 2024