Fri, 20 September 2024 03:07:59am
महाराष्ट्र के नासिक में भारी बारिश और गंगापुर बांध से पानी छोड़े जाने के बाद गोदावरी नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। इस विनाशकारी बाढ़ में कई महत्वपूर्ण मंदिर जलमग्न हो गए हैं, जिससे श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों में भय का माहौल है। आखिर इस प्राकृतिक आपदा ने नासिक को कैसे अपनी चपेट में लिया?
नासिक पर बाढ़ का कहर
नासिक जिले में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसके साथ ही गंगापुर बांध से हजारों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण गोदावरी नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। रामकुंड और गोदा घाट स्थित मंदिरों सहित कई धार्मिक स्थलों में पानी भर गया, जिससे तीर्थयात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
मंदिर डूबे
गोदावरी नदी के किनारे बने रामकुंड के मंदिर इस बाढ़ में पूरी तरह डूब चुके हैं। प्रसिद्ध दुतोंड्या मारुति की प्रतिमा भी जलस्तर में डूबी हुई देखी गई, जिससे इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों में चिंता की लहर दौड़ गई है। अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे नदी के आसपास जाने से बचें और सुरक्षित स्थानों पर शरण लें।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। गंगापुर बांध से छोड़े गए पानी की मात्रा को नियंत्रित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि और अधिक नुकसान से बचा जा सके। स्कूल और कॉलेजों को एहतियातन बंद कर दिया गया है, ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बाढ़ से बचाव और राहत कार्य
प्रशासन ने राहत कार्यों को तेजी से शुरू कर दिया है। निचले इलाकों में बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है। साथ ही, प्रशासन ने आवश्यक राहत सामग्री की व्यवस्था भी की है, जिसमें भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता शामिल हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।
प्राकृतिक आपदा के बीच जीवन
इस बाढ़ ने नासिक के लोगों के जीवन को एक ठहराव पर ला दिया है। व्यापार, परिवहन और दैनिक गतिविधियों पर इसका गहरा असर पड़ा है। लेकिन इन कठिनाइयों के बीच भी लोग हिम्मत नहीं हार रहे हैं और इस आपदा का सामना करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और असंतुलित मानसून की वजह से ऐसी स्थितियां बार-बार उत्पन्न हो रही हैं। अत्यधिक बारिश और बांधों से अनियंत्रित पानी का विमोचन इस समस्या को और बढ़ा रहा है। इस आपदा ने जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता और उससे निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
प्रकृति की चेतावनी
नासिक की यह बाढ़ सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक चेतावनी है कि हमें जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा। स्थानीय प्रशासन और निवासियों के प्रयासों के बावजूद, ऐसे संकट हमारे लिए एक गंभीर सबक है।
Maharashtra: Continuous rainfall and water release from Gangapur Dam have caused severe flooding in Nashik's Godavari River, submerging key temples pic.twitter.com/LCxpsWPlYX
— IANS (@ians_india) August 25, 2024