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अभिव्यकि की स्वतंत्रता पर हमला? ढाका में महिला पत्रकार की रहस्यमयी मौत



अजय त्यागी 2024-08-28 06:47:30 अंतर्राष्ट्रीय

गाजी टीवी की न्यूज रूम एडिटर सारा रहनुमा - File Photo : Internet
गाजी टीवी की न्यूज रूम एडिटर सारा रहनुमा - File Photo : Internet

ढाका के हतिरझील झील में बुधवार को एक महिला पत्रकार का शव तैरता हुआ पाया गया, जिससे पूरे देश में हड़कंप मच गया। मृतक की पहचान सारा रहनुमा के रूप में हुई, जो गाजी टीवी की न्यूज रूम एडिटर थीं। इस घटना को देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक और क्रूर हमला माना जा रहा है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे, सजीब वाजेद ने सोशल मीडिया पर साझा किया।

हतिरझील में मिला शव: 
ढाका के हतिरझील में बुधवार को एक शव तैरता हुआ पाया गया, जिसे बाद में गाजी टीवी की न्यूज रूम एडिटर, सारा रहनुमा के रूप में पहचाना गया। इस घटना ने पत्रकारिता जगत में खलबली मचा दी है।

सजीब वाजेद का बयान: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला 
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अमेरिका में रहने वाले बेटे, सजीब वाजेद ने इस घटना को बांग्लादेश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक और क्रूर हमला बताया। उन्होंने कहा कि यह घटना देश में स्वतंत्र मीडिया पर लगाम लगाने की कोशिश है।

स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट: कैसे मिला शव? 
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति ने हतिरझील में तैरते हुए शव को देखा और उसे अस्पताल ले गया, जहां डॉक्टरों ने सारा को मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने पूरे बांग्लादेश में सनसनी फैला दी है।

गाजी टीवी का सफर: एक सेक्युलर न्यूज चैनल 
गाजी टीवी, जहां सारा रहनुमा काम करती थीं, एक प्रमुख सेक्युलर न्यूज चैनल है। चैनल के मालिक, गोलाम दस्तागीर गाजी, हाल ही में गिरफ्तार किए गए थे, जिससे चैनल पर कई तरह के दबाव थे। यह घटना इसी दबाव का परिणाम मानी जा रही है।

स्वतंत्रता की लड़ाई: 
इस घटना के बाद से देश में पत्रकारिता और मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं। क्या यह एक साजिश थी या फिर एक सामान्य दुर्घटना? इस पर बहस जारी है, लेकिन एक बात साफ है कि यह घटना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा है।

ध्यान आकर्षित करती चुनौतियां: पत्रकारिता के लिए कठिन समय 
बांग्लादेश में पत्रकारिता पहले से ही कई चुनौतियों का सामना कर रही है, और सारा रहनुमा की मौत ने इन चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। यह घटना पत्रकारों के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें अपनी स्वतंत्रता के लिए किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: न्याय की मांग 
इस घटना के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की आलोचना हो रही है। कई मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह घटना बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी धूमिल कर सकती है।

भविष्य का रास्ता: न्याय की प्रतीक्षा 
अब सबकी नजरें इस मामले की जांच पर टिकी हैं। क्या सारा रहनुमा के परिवार को न्याय मिलेगा, या फिर यह मामला भी अन्य मामलों की तरह अनसुलझा रह जाएगा? यह समय ही बताएगा।

बहरहाल, सारा रहनुमा की मौत न केवल बांग्लादेश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक गंभीर मुद्दा बन गई है। पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है, और इस घटना ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर पत्रकारों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। देश और दुनिया के लिए यह घटना एक चेतावनी है कि स्वतंत्रता की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।



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