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UPSC परीक्षाओं में आधार आधारित सत्यापन की अनुमति: उम्मीदवारों के लिए नई सुरक्षा व्यवस्था



अजय त्यागी 2024-08-29 10:32:10 दिल्ली

प्रतीकात्मक फोटो : Internet
प्रतीकात्मक फोटो : Internet

सिविल सेवा परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए, केंद्र सरकार ने बुधवार, 28 अगस्त, 2024 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को आधार-आधारित सत्यापन के माध्यम से उम्मीदवारों की पहचान सत्यापित करने की अनुमति दी। इस नए कदम से UPSC की परीक्षा प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जिसे उम्मीदवारों की पहचान की सत्यता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

सुधार के लिए नई पहल:
केंद्र सरकार ने UPSC को आधार-आधारित सत्यापन की अनुमति दी है, जो कि उम्मीदवारों की पहचान को सत्यापित करने के लिए एक स्वैच्छिक प्रक्रिया होगी। इस सत्यापन प्रक्रिया का उपयोग वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा या भर्ती प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में किया जाएगा। इस प्रक्रिया में यस/नो अथवा e-KYC सत्यापन का उपयोग होगा।

अधिसूचना के मुख्य बिंदु:
1. वन टाइम रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर पंजीकरण के समय और परीक्षा या भर्ती परीक्षणों के विभिन्न चरणों में आधार-आधारित प्रमाणीकरण किया जाएगा।
2. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, प्रमाणीकरण हां/नहीं या/और ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग करके किया जाएगा।
3. अधिसूचना में कहा गया है कि कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय को केंद्र सरकार द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को स्वैच्छिक आधार पर आधार प्रमाणीकरण करने की अनुमति देने के लिए अधिकृत किया गया है।
4. यूपीएससी पंजीकरण के समय और परीक्षा/भर्ती परीक्षणों के विभिन्न चरणों में उम्मीदवारों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करेगा।
5. यूपीएससी आधार अधिनियम, नियमों और विनियमों के सभी प्रावधानों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी निर्देशों का पालन करेगा।

नियमों का पालन:
UPSC को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वह आधार अधिनियम, 2016 के तहत सभी नियमों और विनियमों का पालन करेगा। इसके साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि आधार प्राधिकरण द्वारा जारी किए गए सभी निर्देशों का पालन हो। UPSC की यह पहल परीक्षा प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

केस स्टडी: पूजा खेडकर मामला
हाल ही में, पूजा खेडकर नामक एक आईएएस उम्मीदवार के खिलाफ UPSC ने कठोर कार्रवाई की थी, जिसमें उसकी पहचान से छेड़छाड़ और आरक्षित श्रेणियों का दुरुपयोग करने का आरोप था। इस मामले के बाद UPSC ने आधार आधारित सत्यापन को लागू करने का निर्णय लिया। यह सत्यापन प्रक्रिया UPSC की परीक्षा प्रक्रिया को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है।

सुरक्षा की नई दिशा:
UPSC अब केवल आधार सत्यापन तक ही सीमित नहीं रहेगा। आयोग ने परीक्षा में धोखाधड़ी रोकने के लिए चेहरे की पहचान और AI आधारित सीसीटीवी निगरानी जैसी तकनीकों को भी लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए आयोग ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों से तकनीकी समाधान विकसित करने के लिए निविदाएं भी जारी की हैं।

उम्मीदवारों की प्रतिक्रिया:
इस नए बदलाव के बाद, कई उम्मीदवारों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कुछ ने इसे सकारात्मक कदम माना है जो परीक्षा की निष्पक्षता को सुनिश्चित करेगा, जबकि कुछ ने गोपनीयता से संबंधित चिंताओं को भी उठाया है। हालांकि, सरकार और UPSC का मानना है कि यह कदम परीक्षा की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

UPSC की इस नई पहल से न केवल परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी, बल्कि यह उम्मीदवारों की पहचान को सुरक्षित और सत्यापित करने के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। इस नए बदलाव के बाद UPSC की परीक्षा प्रक्रिया में एक बड़ा सुधार होगा जो कि भविष्य में परीक्षा के प्रति विश्वास को और मजबूत करेगा।



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