Fri, 20 September 2024 03:32:51am
किसान आंदोलन के 200 दिनों के बाद भी सरकार के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है। किसानों की आवाज़ को नजरअंदाज किया जा रहा है।अब किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने केंद्र सरकार के सामने सीधी चुनौती रखते हुए कहा है कि आंदोलन को और तीव्र किया जाएगा। आने वाले दिनों में किसान बड़ी घोषणाएं करने की तैयारी में हैं, जिससे सरकार की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
किसानो की ताकत का इम्तिहान
किसान आंदोलन, अब 200 दिन पूरे कर चुका है। इस मौके पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अब सरकार किसानों की ताकत का इम्तिहान ले रही है। पंधेर का कहना है कि सरकार ने अब तक किसानों और मजदूरों की आवाज़ को सम्मान नहीं दिया है, और उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर किसान नेता अब बड़े कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें नई रणनीतियों और बड़े ऐलानों की घोषणा की जाएगी।
किसान नेता की चेतावनी
सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती। उनका कहना है कि आंदोलन का अगला चरण और भी ज़ोरदार होगा, जिसमें नए तरीकों से सरकार पर दबाव बनाया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसान अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे और उनके धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए।
सरकार से किसानों की मांगें
किसानों की प्रमुख मांगों में फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी, कृषि ऋण माफी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों का क्रियान्वयन, किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन प्रावधान, बिजली की दरों में वृद्धि को रोकना, पुलिस मामलों की वापसी, 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, 2013 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम की बहाली, और पिछले आंदोलनों में जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा शामिल हैं।
आंदोलन का भविष्य
पंधेर ने यह भी बताया कि आंदोलन का भविष्य सरकार के रवैये पर निर्भर करेगा। अगर सरकार जल्द ही किसानों की मांगों को मान लेती है तो किसान आंदोलन समाप्त करने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन अगर सरकार इसी प्रकार किसानों की आवाज़ को अनसुना करती रही, तो आंदोलन को और अधिक तीव्रता से चलाने की योजना बनाई जाएगी।
सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं
सरकार और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई बातचीत में कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। सरकार ने अब तक चार दौर की बातचीत की है, लेकिन किसानों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इससे किसानों में नाराजगी और बढ़ गई है, और वे अब आंदोलन को और व्यापक बनाने की योजना बना रहे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस आंदोलन के चलते विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। विपक्षी दलों ने किसानों के साथ खड़े होते हुए केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। वहीं, सरकार के समर्थक दलों ने इसे एक राजनीतिक चाल के रूप में देखा है और कहा है कि सरकार किसानों के हित में काम कर रही है।
आंदोलन का असर
यह आंदोलन न केवल दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बल्कि पूरे देश में फैला हुआ है। किसान आंदोलन के कारण कई बार दिल्ली की सीमाओं पर यातायात भी बाधित हुआ है, जिससे आम जनजीवन प्रभावित हुआ है। शम्भू बॉर्डर अभी तक नहीं खोला गया है जिसके चलते भी यातायात में भारी परेशानियाँ सामने आ रही हैं। इसके बावजूद, किसानों ने अपनी मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाए रखा है।
200 दिनों के लंबे आंदोलन के बाद भी किसानों की मांगों को लेकर सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में किसान नेता किस प्रकार की घोषणाएं करते हैं और यह आंदोलन किस दिशा में जाता है। एक बात तो साफ है कि किसान अब अपने हक के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं।
VIDEO | 200 days of farmers protest: "The Modi government is testing our strength. They are not even respecting the voices of farmers and labourers. We will put our demands, discuss strategies for protest and make big announcements as well," says farmer leader Sarwan Singh… pic.twitter.com/CGzRdHvUGK
— Press Trust of India (@PTI_News) August 31, 2024