Fri, 20 September 2024 03:40:15am
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के प्रयास किए जाने की जरूरत है। मुर्मू ने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुप्रीम कोर्ट का झंडा और प्रतीक चिन्ह भी जारी किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अदालतों में लंबित मामलों का होना हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है।
#WATCH | Delhi: President Droupadi Murmu unveiled a new flag and insignia for the Supreme Court to commemorate its 75th anniversary. pic.twitter.com/sn40tB2Y9b
— ANI (@ANI) September 1, 2024
ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम
उन्होंने कहा कि अदालतों में स्थगन की संस्कृति को बदलने के लिए हर मुमकिन कोशिश किए जाने की जरूरत है। मुर्मू ने कहा कि देश के सभी न्यायाधीशों की जिम्मेदारी है कि वे न्याय की रक्षा करें। राष्ट्रपति ने कहा कि अदालतों में आम लोगों का स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है, जिसे उन्होंने ब्लैक कोर्ट सिंड्रोम का नाम दिया और सुझाव दिया कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए।
उन्होंने महिला न्यायिक अधिकारियों की संख्या में वृद्धि पर भी खुशी जताई। इस कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल हुए।
#WATCH | President Droupadi Murmu addresses the closing ceremony of the National District Judiciary Conference.
— ANI (@ANI) September 1, 2024
She says "...I am told that in recent times there has been improvement in the availability of timely administration, infrastructure, facilities, training and… pic.twitter.com/g4LAO1ml78
लंबित मामलों को कम करने की योजना
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि लंबित मामलों को कम करने की समिति ने केस प्रबंधन के माध्यम से लंबित मामलों को कम करने के लिए कुशलतापूर्वक एक कार्य योजना तैयार की है। कार्य योजना तीन चरणों में पूरी होगी। उन्होंने आगे कहा कि बैकलॉग से निपटने के लिए कुछ अन्य रणनीतियों में मुकदमे-पूर्व विवाद समाधान शामिल है।
सीजीआई ने कहा कि हमें बिना किसी सवाल के इस तथ्य को बदलना चाहिए कि जिला स्तर पर हमारे न्यायालय के बुनियादी ढांचे का केवल 6.7 फीसदी ही महिला-अनुकूल है। क्या यह आज ऐसे देश में स्वीकार्य है, जहां कुछ राज्यों में भर्ती के बुनियादी स्तर पर 60 या 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं? न्यायालय में चिकित्सा सुविधाएं, क्रेच एवं ई-सेवा केंद्र और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग डिवाइस जैसी तकनीकी परियोजनाएं खोलना। इन प्रयासों का उद्देश्य न्याय तक पहुंच बढ़ाना है।
#WATCH | Chief Justice of India, DY Chandrachud addresses the 2-day National Conference of District Judiciary, at Bharat Mandapam.
— ANI (@ANI) September 1, 2024
He says "The Committee on Reducing Arrears of Cases has skilfully laid out an action plan for reducing case pendency through case management. The… pic.twitter.com/YBTcYBm1wM
देशवासियों के लिए बहुत गौरव का क्षण
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भारत मंडपम में जिला न्यायपालिका के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में न्याय के सर्वोच्च मंदिर, सर्वोच्च न्यायालय का 75 वर्ष पूरा करने का सफर हम सभी देशवासियों के लिए बहुत गौरव का क्षण है। उनका कहना है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को लोकतंत्र की जननी के रूप में आदरणीय माना जाता है। भारत में न्याय के सर्वोच्च मंदिर सुप्रीम कोर्ट की 75 वर्ष पूर्ण करने की यात्रा हम सभी देशवासियों के लिए बहुत गौरव का क्षण है।
आज इस परिसर में न्यायपालिका के विभिन्न स्तरों पर कार्यरत सभी महानुभावों का एक ही लक्ष्य है, विकसित भारत का निर्माण। विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत नागरिकों को न्यायिक प्रणाली का एक अच्छा इकोसिस्टम उपलब्ध हो ताकि वे अपनी व्यक्तिगत और सामूहिक क्षमता को राष्ट्र निर्माण में समर्पित कर सकें। जिला न्यायपालिका के इस दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में जिला न्यायपालिका के सभी हितधारकों जो एक आम आदमी की भूमिका निभाते हैं, उनसे जुड़ी पहलों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया है।
#WATCH | Union Law Minister Arjun Ram Meghwal addresses the 2-day National Conference of District Judiciary, at Bharat Mandapam.
— ANI (@ANI) September 1, 2024
He says "The world's largest democracy is revered as the Mother of Democracy. The highest temple of justice in India, the Supreme Court's journey of… pic.twitter.com/q02Tw22xfn