Fri, 20 September 2024 03:30:29am
अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत तो मिल गई है, लेकिन बतौर मुखुमंत्री उनकी प्रशासनिक शक्तियां अभी भी कैद में रहेंगी। जिसके चलते अभी उनकी मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। दरअसल, कोर्ट ने उन पर ऐसी शर्तें लगाई हैं, जो उनके प्रशासनिक अधिकारों को सीमित कर रही हैं। अब सवाल उठता है, क्या केजरीवाल बिना मुख्यमंत्री कार्यालय में कदम रखे दिल्ली का संचालन कर पाएंगे?
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: व्यक्तिगत स्वतंत्रता बनाम प्रशासनिक दायित्व
सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को जमानत देते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को प्राथमिकता दी है, लेकिन इसके साथ ही कड़े प्रतिबंध भी लगाए हैं। इन शर्तों के अनुसार, केजरीवाल अब मुख्यमंत्री के तौर पर कामकाज नहीं कर सकेंगे और न ही अपने दफ्तर जा पाएंगे। यह फैसला तब आया है, जब केजरीवाल पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए भ्रष्टाचार के इस मामले में जमानत मिलने के बाद उनके जेल से बाहर आने का रास्ता जरूर साफ हो गया है, लेकिन प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर रोक अब भी बनी हुई है।
केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत तो दी है, लेकिन कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि जमानत मिलने के बावजूद उनके कामकाज पर सीमित अधिकार रहेंगे। वह मुख्यमंत्री दफ्तर में नहीं जा सकेंगे और केवल उन्हीं फाइलों पर दस्तखत कर पाएंगे, जिन्हें उपराज्यपाल को भेजा जाना है। इसका सीधा मतलब यह है कि दिल्ली सरकार के कैबिनेट और प्रशासनिक कार्यों में अब केजरीवाल की भूमिका सीमित हो गई है।
आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर आम आदमी पार्टी की ओर से मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया का मानना है कि अदालत द्वारा लगाई गई शर्तें अस्थायी हैं और वे इन शर्तों के खिलाफ कानूनी कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इस तरह की शर्तें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बाधित कर सकती हैं और सरकार के कामकाज पर असर डाल सकती हैं।
Delhi CM Arvind Kejriwal meets Punjab CM Bhagwant Mann, Former Delhi Deputy CM Manish Sisodia and AAP MP Sanjay Singh
— AAP Report (@AAPReport) September 13, 2024
He was released from Tihar jail today after the Supreme Court granted him bail in the Delhi excise policy case pic.twitter.com/IYX5xen8O0
केजरीवाल की अंतरिम जमानत का असर
अरविंद केजरीवाल पहले से ही मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में अंतरिम जमानत पर हैं। अब जब उन्हें इस नए मामले में भी जमानत मिलने पर जेल से उनकी रिहाई हो गई है। लेकिन कोर्ट की शर्तों ने उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि यह स्थिति कैसे बदलती है और क्या केजरीवाल इन शर्तों के खिलाफ कोई कानूनी लड़ाई लड़ते हैं।
भाजपा का हमला: इस्तीफे की मांग
इस मौके का फायदा उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की है। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल जैसे उच्च पद पर रहते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगना और फिर उन पर अदालत द्वारा शर्तें लगाया जाना, यह दिखाता है कि उनके पास अब नैतिक अधिकार नहीं है कि वह मुख्यमंत्री के पद पर बने रहें। भाजपा ने यह भी कहा कि केजरीवाल की यह स्थिति दिल्ली की जनता के प्रति अन्याय है। नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
प्रशासनिक कामकाज पर पड़ेगा असर?
अरविंद केजरीवाल पर लगे प्रतिबंध न केवल उनके व्यक्तिगत कामकाज पर असर डालेंगे, बल्कि दिल्ली के प्रशासनिक कामकाज पर भी इसका असर पड़ने की संभावना है। कैबिनेट बैठकों से लेकर महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसलों तक, अब सभी कार्यों में उनकी भूमिका सीमित हो गई है। दिल्ली कैबिनेट का विस्तार भी लंबित है, और केजरीवाल की अनुपस्थिति में इसे पूरा करना कठिन हो सकता है।
केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप: क्या हैं प्रमुख तथ्य?
आबकारी नीति घोटाले में केजरीवाल पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। आरोप है कि दिल्ली सरकार की आबकारी नीति में बदलाव करके कुछ खास कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया और इसके बदले में घूस ली गई। इस घोटाले में आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं के नाम सामने आए हैं, जिनमें केजरीवाल का नाम भी प्रमुख है। इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की और अरविंद केजरीवाल को आरोपी बनाया गया।
#WATCH | Delhi CM Arvind Kejriwal arrives at his residence in Civil Lines; receives a warm welcome from his family members
— ANI (@ANI) September 13, 2024
He was released from Tihar jail today after the Supreme Court granted him bail in the Delhi excise policy case
(Source: AAP) pic.twitter.com/9WyzSMxuze
आम आदमी पार्टी की कानूनी टीम देगी चुनौती
आम आदमी पार्टी की लीगल टीम का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई शर्तें असंवैधानिक हैं और वे इन शर्तों के खिलाफ कानूनी कदम उठाएंगे। पार्टी के वकीलों का कहना है कि केजरीवाल को प्रशासनिक कामकाज से रोकना, दिल्ली की जनता के साथ अन्याय है। उनका तर्क है कि मुख्यमंत्री के अधिकारों को सीमित करना उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
आगे की राह: क्या होगा केजरीवाल का अगला कदम?
जमानत मिलने के बाद भी अरविंद केजरीवाल के सामने कई चुनौतियां खड़ी हैं। कोर्ट की शर्तों ने उनके प्रशासनिक अधिकारों को सीमित कर दिया है, और अब देखना होगा कि वह इन शर्तों के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं या नहीं। दूसरी ओर, भाजपा का दबाव और जनता के बीच उनकी छवि पर भी असर पड़ सकता है।
क्या केजरीवाल के खिलाफ लगाई गई शर्तें लोकतांत्रिक हैं?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों पर कई राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि लोकतंत्र में किसी भी निर्वाचित नेता पर इस तरह के प्रतिबंध लगाना असंवैधानिक है। इस पूरे मामले ने देशभर में एक नई बहस छेड़ दी है कि क्या भ्रष्टाचार के आरोप में जमानत मिलने के बाद भी कोई नेता अपने प्रशासनिक कार्यों से रोका जा सकता है?
केजरीवाल की राजनीतिक और कानूनी चुनौतियां
अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलना उनके लिए एक राहत की खबर है, लेकिन इस जमानत पर लगी शर्तें उनकी राजनीतिक और प्रशासनिक चुनौतियों को और बढ़ा रही हैं। अब यह देखना होगा कि आम आदमी पार्टी इन शर्तों के खिलाफ क्या कदम उठाती है और केजरीवाल की राजनीतिक स्थिति पर इसका क्या असर पड़ता है।
#WATCH | After being released from Tihar Jail, Delhi CM Arvind Kejriwal says, "I have faced many difficulties in my life but God has supported me at every step. This time too God supported me because I was honest, right..." pic.twitter.com/JHwpxY0B8V
— ANI (@ANI) September 13, 2024