Mon, 30 December 2024 12:11:47am
क्या आपने कभी सोचा है कि गाँवों में स्थानीय स्वशासन और महिलाओं के सशक्तिकरण की असली तस्वीर कैसी होती है? बिहार ने इस दिशा में एक ऐसा कदम उठाया है, जो देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। पंचायती राज मंत्रालय द्वारा पटना में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में जनप्रतिनिधियों ने गाँवों के विकास और महिलाओं की भागीदारी के अनोखे पहलुओं पर गहराई से चर्चा की। आइए जानते हैं इस आयोजन के हर पहलू को विस्तार से।
सतत विकास लक्ष्यों के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
ज्ञान भवन, पटना में भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य ग्राम पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों को लागू करना और जनप्रतिनिधियों की क्षमताओं का विकास करना था। इस कार्यशाला में पूरे देश से करीब 300 जनप्रतिनिधियों और पंचायत कर्मियों ने भाग लिया, जिनमें से कई ने अपने अनुभव साझा किए। इस कार्यशाला का मुख्य फोकस सामाजिक रूप से सुरक्षित गाँवों का निर्माण और महिलाओं के सशक्तिकरण पर रहा।
नालंदा के ऐतिहासिक स्थलों का दौरा: प्राचीन विरासत से प्रेरणा
प्रतिभागियों ने एक्सप्लोर विजिट के तहत नालंदा के ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया, जिसमें प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष, जापानी मंदिर राजगीर, और जल मंदिर पावापुरी जैसे प्रतिष्ठित स्थल शामिल थे। यह दौरा जनप्रतिनिधियों को भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से अवगत कराने का एक महत्वपूर्ण प्रयास था, ताकि वे अपने स्थानीय क्षेत्रों में विकास की नई संभावनाओं को देख सकें।
महिलाओं के सशक्तिकरण में जीविका परियोजना की अहम भूमिका
कार्यशाला में प्रतिभागियों ने बिहार में संचालित जीविका परियोजना का भी अवलोकन किया, जो महिलाओं के सशक्तिकरण में अहम भूमिका निभा रही है। दीदी की रसोई, जो तीर्थांकर महावीर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में संचालित होती है, इसका प्रमुख उदाहरण है। इस रसोई की कार्यप्रणाली को गहराई से समझते हुए, सभी प्रतिभागियों ने इसकी सराहना की और इसे महिलाओं के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का एक बेहतरीन मॉडल माना।
चोरसुआ पंचायत: बिहार का स्वशासन मॉडल
प्रतिभागियों ने गिरियक प्रखंड के चोरसुआ पंचायत का दौरा किया, जो बिहार के स्थानीय स्वशासन का एक आदर्श मॉडल है। पंचायत के मुखिया चंदन कुमार ने सतत विकास लक्ष्यों की नौ थीमों के बारे में जानकारी दी, जिन्हें 2030 तक प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। चोरसुआ पंचायत में जल जीवन हरियाली के तहत मॉडल कुएं, वृक्षारोपण, मॉडल आंगनबाड़ी, डिजिटल लाइब्रेरी, नल जल योजना और मनरेगा के तहत विभिन्न विकास कार्यों का अवलोकन किया गया।
महिला सशक्तिकरण में एक नजीर
बिहार में महिलाओं को पंचायत चुनावों में 50% आरक्षण देकर राज्य ने महिला सशक्तिकरण में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। रोहित कुमार और अशोक कुमार ने पंचायत भवन के विभिन्न विभागों का दौरा कराते हुए पंचायत के कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। बिहार के इस मॉडल की पूरे देश में सराहना की जा रही है, क्योंकि यह अन्य राज्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
स्थानीय स्वशासन में बिहार की अनूठी पहल
कार्यशाला के दौरान बताया गया कि बिहार में स्थानीय स्वशासन में प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों के लिए अलग-अलग प्रतिनिधि निर्वाचित किए जाते हैं, जिसमें मुखिया प्रशासनिक कार्यों और सरपंच न्यायिक कार्यों की जिम्मेदारी निभाते हैं। यह मॉडल अन्य राज्यों से भिन्न है, जहां एक ही प्रतिनिधि दोनों कार्यों को संभालता है।
सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में पंचायतों का योगदान
पंचायत के मुखिया चंदन कुमार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों पर जोर दिया और बताया कि जब तक गाँवों का विकास नहीं होता, तब तक एक विकसित राष्ट्र की कल्पना नहीं की जा सकती। इस कार्यशाला का उद्देश्य पंचायतों को इन लक्ष्यों के प्रति जागरूक करना और उनकी क्षमताओं को बढ़ाना था, ताकि 2030 तक सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
बिहार की सांस्कृतिक धरोहर से परिचय
कार्यशाला के अंत में, सरस्वती विद्या मंदिर के छात्र-छात्राओं ने बिहार की संस्कृति का परिचय देते हुए अइसन आपन ह बिहार गीत प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में छठ पर्व, लौंडा डांस, कजरी, और झूमर जैसे पारंपरिक नृत्य और त्योहारों का प्रदर्शन किया गया, जिसने प्रतिभागियों को बिहार की लोकास्था और इतिहास से अवगत कराया।
प्रतिभागियों के अनुभव और सराहना
अंतिम दिन प्रतिभागियों ने पंचायत सरकार के कार्यों की सराहना की और बिहार के विकास मॉडल से प्रेरणा लेकर अपने-अपने राज्यों में इसे लागू करने की बात कही। इस कार्यशाला ने न केवल जनप्रतिनिधियों को नई जानकारियाँ दीं, बल्कि उन्हें स्थानीय स्वशासन के महत्व को समझने का एक अद्भुत अवसर प्रदान किया।