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गोरखपुर में डिजिटल सखियों का स्वच्छता क्रांति अभियान, 20 गांवों में महिलाओं ने दिखाई राह



अजय त्यागी 2024-09-14 09:48:41 उत्तर प्रदेश

डिजिटल सखियों का स्वच्छता क्रांति अभियान - Photo : Rex TV India
डिजिटल सखियों का स्वच्छता क्रांति अभियान - Photo : Rex TV India

क्या आपने कभी सोचा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता से आगे बढ़ते हुए महिलाएं अब पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता अभियान का भी नेतृत्व कर सकती हैं? गोरखपुर के पिपराइच में डिजिटल सखियों ने यह साबित कर दिया है कि सामाजिक बदलाव के लिए उन्हें किसी बड़ी योजना की जरूरत नहीं, बस स्वच्छता और स्वास्थ्य का संकल्प काफी है। इस अनोखे अभियान के तहत महिलाओं ने न केवल अपने गांवों को स्वच्छ बनाने का बीड़ा उठाया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का जिम्मा भी संभाला है।

स्वच्छता पखवाड़ा: एक अनूठा अभियान
गोरखपुर के पिपराइच प्रखंड में स्वच्छता से ही स्वास्थ्य है और स्वच्छ भारत, स्वस्थ हम जैसे नारों के साथ स्वच्छता पखवाड़ा अभियान की शुरुआत की गई। यह अभियान बायफ लाइवलीहुड और एल&टी फाइनेंस द्वारा संचालित डिजिटल सखी परियोजना के अंतर्गत किया गया, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस अभियान में 20 ग्राम पंचायतों में पोस्टर प्रतियोगिताओं, रंगोली प्रतियोगिताओं और रैलियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

डिजिटल सखियों की पहल: समाज में जागरूकता का संदेश
इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए ज्वाइंट प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर, सुश्री गीता कौर ने बताया कि इस अभियान में न केवल ग्रामीण महिलाओं को शामिल किया गया है, बल्कि सरकारी विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, उद्यमी महिलाएं, एसएचजी सदस्य, ग्राम प्रधान, प्राध्यापक, अध्यापक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, एएनएम, और सीएचओ भी इस मुहिम का हिस्सा बने हैं।

व्यक्तिगत और सामूहिक स्वच्छता की ओर महिलाओं का ध्यान
अभियान के दौरान महिलाओं को व्यक्तिगत स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। उन्हें हाथ धोने के सही तरीके बताए गए और यह समझाया गया कि कूड़े को इधर-उधर फैलाने के बजाय एकत्र कर गांव से दूर फेंकना चाहिए। प्लास्टिक के उपयोग से बचने और इसके स्थान पर कपड़े के थैले का उपयोग करने की सलाह दी गई। इस प्रकार, स्वच्छता की पहल को न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बल्कि सामूहिक स्तर पर भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

डिजिटल सखी परियोजना का महत्व
यह अभियान डिजिटल सखियों के माध्यम से संचालित हो रहा है, जो न केवल डिजिटल साक्षरता में महिलाओं को सशक्त बना रही हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ये सखियां ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता के महत्व को समझाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध वायु और जल संरक्षण के लिए भी लोगों को जागरूक कर रही हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान
इस बार, डिजिटल सखियों ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए लोगों को शुद्ध वायु, स्वच्छ वातावरण और जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया है। वे ग्रामीण महिलाओं को यह समझाने में सफल हो रही हैं कि कैसे व्यक्तिगत स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण आपस में जुड़े हुए हैं और इनके बिना समग्र स्वास्थ्य संभव नहीं है।

कार्यक्रम में शामिल मुख्य भागीदार
इस अभियान के दौरान ग्राम आराजी बनकट की डिजिटल सखी कंचन, ग्राम खझवा की खुशबू चौरसिया, उनौला दोयम की रंजना यादव, पिपरा मिगलान की प्राची पांडेय, सोनवे गुनाराह की सुधा देवी, नईयापार की मीना देवी, चिलबिलवा की अनीता यादव, सारंडा की अंजनी विश्वकर्मा, रुद्रापुर की नादरा खातून, आराजी मतौनी की मनीषा देवी, कोनी की मेनिका पासवान, गोपालपुर की हेमा गिरी, उसका की मेनका सिंह, महुआ खुर्द की आशा, गौरा की सुनीता देवी, लुहसी की शीला देवी, नथुवा की रंजन सिंह, इस्लामपुर की गायत्री सिंह, हेमधापुर की पूजा मिश्रा और करमैना/करमैनी की ज्योति भाटिया ने भाग लिया।

स्वच्छता और सशक्तिकरण: ग्रामीण महिलाओं की बड़ी भूमिका
डिजिटल सखियों का यह अभियान न केवल स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाने का काम कर रहा है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को सशक्त भी कर रहा है। ये महिलाएं अब न केवल अपने घरों को स्वच्छ रखने के प्रति जागरूक हो रही हैं, बल्कि अपने गांवों को भी स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं। यह अभियान बताता है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं न केवल स्वच्छता बल्कि सामुदायिक नेतृत्व में भी एक प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं।

स्वच्छता के लिए सामूहिक प्रयास
इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह स्वच्छता को केवल व्यक्तिगत जिम्मेदारी तक सीमित नहीं रखता, बल्कि इसे सामूहिक प्रयास में बदलता है। गांवों के सभी लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि स्वच्छता हर किसी की जिम्मेदारी है, और इसे बनाए रखने के लिए हर किसी को अपने हिस्से का योगदान देना होगा।

डिजिटल सखी परियोजना: डिजिटल साक्षरता से स्वच्छता तक
डिजिटल सखी परियोजना, जो मुख्यतः डिजिटल साक्षरता में महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, अब अपने दायरे को बढ़ाकर सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का काम भी कर रही है। इस परियोजना के तहत, महिलाओं को डिजिटल साक्षरता के साथ-साथ स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, और स्वास्थ्य के प्रति भी जागरूक किया जा रहा है।

बहरहाल, गोरखपुर में चल रहे इस स्वच्छता पखवाड़ा अभियान ने यह साबित कर दिया है कि जब ग्रामीण महिलाओं को सशक्त किया जाता है, तो वे समाज में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखती हैं। डिजिटल सखियों द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान ने न केवल स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ाई है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की नेतृत्व क्षमता को भी उजागर किया है।



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