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धारचूला में भूस्खलन से ठप हुई आदि कैलाश यात्रा: प्रशासन ने दी यात्रा से बचने की चेतावनी



अजय त्यागी 2024-09-15 01:59:08 उत्तराखंड

धारचूला में भूस्खलन - Photo : IANS
धारचूला में भूस्खलन - Photo : IANS

उत्तराखंड के धारचूला में आज भारी बारिश के कारण भूस्खलन ने कहर बरपा दिया। चैतुलधार तवाघाट क्षेत्र में सड़कें पूरी तरह बंद हो चुकी हैं और प्रसिद्ध आदि कैलाश यात्रा को भी रोकना पड़ा है। प्रशासन ने इलाके में रहने वालों और यात्रियों से अपील की है कि वह इस क्षेत्र में यात्रा करने से बचें। हालाँकि, राहत की बात यह है कि इस भूस्खलन में अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

धारचूला में भूस्खलन: भारी बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
उत्तराखंड के धारचूला क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण चैतुलधार तवाघाट इलाके में गंभीर भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है। यह भूस्खलन इतना तीव्र था कि सड़कों पर आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया और यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने तुरंत इलाके को बंद कर दिया। भूस्खलन के कारण सड़कों पर भारी मात्रा में मलबा जमा हो गया, जिसके चलते आदि कैलाश यात्रा को भी स्थगित करना पड़ा।

प्रशासन ने जारी की चेतावनी: यात्रा से बचने की अपील
भारी भूस्खलन के बाद उत्तराखंड प्रशासन ने सभी निवासियों और यात्रियों से अपील की है कि वे प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा करने से बचें। अधिकारियों ने कहा कि स्थिति अभी भी अस्थिर है और भविष्य में और अधिक भूस्खलन होने की आशंका है। यात्रा के रास्ते में मलबे की साफ-सफाई और स्थिति की समीक्षा के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रशासन ने इस आपदा से बचने के लिए सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए आगे की रणनीति बनाई है।

आदि कैलाश यात्रा पर असर: धर्म और आस्था पर संकट
आदि कैलाश यात्रा उत्तराखंड के प्रमुख धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है, जिसमें श्रद्धालु भारी संख्या में हिस्सा लेते हैं। लेकिन इस भूस्खलन ने इस पवित्र यात्रा पर रोक लगा दी है। स्थानीय प्रशासन ने इस यात्रा को तब तक के लिए स्थगित कर दिया है जब तक कि मार्ग पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो जाता। यह यात्रा शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा मानी जाती है, लेकिन इस भूस्खलन ने श्रद्धालुओं की आस्था और यात्रा के साथ जुड़े उनके सपनों को फिलहाल रोक दिया है।

मौसम की अनिश्चितता: लगातार बारिश से और बढ़ी मुश्किलें
उत्तराखंड में मानसून के दौरान अक्सर भूस्खलन जैसी आपदाएं सामने आती हैं, लेकिन इस बार की बारिश ने लोगों की मुसीबतों को और भी बढ़ा दिया है। मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश की चेतावनी जारी कर दी थी, और इसके चलते पूरे उत्तराखंड में सतर्कता बरती जा रही थी। भारी बारिश के कारण न केवल धारचूला, बल्कि कई अन्य हिस्सों में भी यात्रा और जीवन यापन प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में और बारिश हो सकती है, जिससे हालात और बिगड़ सकते हैं।

प्रशासन की तैयारियाँ और राहत कार्य
भूस्खलन के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन ने एसडीआरएफ (स्टेट डिजास्टर रेस्पॉन्स फोर्स) की टीमों को तैनात कर दिया है ताकि स्थिति को नियंत्रित किया जा सके। राहत कार्यों के तहत भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्रों में मलबा हटाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य तेजी से किया जा रहा है। प्रशासन का मुख्य लक्ष्य है कि किसी भी प्रकार की जनहानि न हो और सभी यात्री एवं स्थानीय लोग सुरक्षित रहें।

भूस्खलन के बाद की चुनौतियाँ: कैसे होगा मार्ग बहाल?
भूस्खलन के बाद सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे जल्द से जल्द सड़कों को बहाल किया जाए। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि मलबा हटाने में कुछ समय लग सकता है, क्योंकि क्षेत्र में लगातार बारिश के चलते भूस्खलन की संभावना बनी हुई है। सड़कें बहाल करने के लिए विशेषज्ञों की टीमों को बुलाया गया है, जो इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह कार्य कुछ दिनों तक जारी रह सकता है।

पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा: आगे की योजना
प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि वह किसी भी कीमत पर यात्रियों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। आदि कैलाश यात्रा को फिर से शुरू करने से पहले पूरे मार्ग की सुरक्षा की गहन समीक्षा की जाएगी। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं और पर्यटकों को वैकल्पिक मार्गों की जानकारी दी जा रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि वह किसी भी खतरनाक स्थिति में न फंसें।

स्थानीय व्यापारियों पर असर: पर्यटन ठप
भूस्खलन के कारण स्थानीय व्यापारियों पर भी बड़ा असर पड़ने की सम्भावना है। उत्तराखंड के धारचूला क्षेत्र में कई स्थानीय दुकानदार और छोटे व्यवसायी इस यात्रा पर निर्भर रहते हैं। आदि कैलाश यात्रा के ठप हो जाने से इन व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, स्थानीय होटलों और ढाबों पर भी इसका असर तय माना जा रहा है।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: सरकार की तैयारी पर सवाल
इस भूस्खलन के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं। कई लोग सरकार की तैयारी और आपदा प्रबंधन पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल मानसून के दौरान भूस्खलन की समस्या का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके बावजूद स्थायी समाधान की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। सोशल मीडिया पर लोग प्रशासन से और अधिक तत्परता की मांग कर रहे हैं।

समाधान की दिशा में प्रयास: विशेषज्ञों की सलाह
विभिन्न विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में भूस्खलन की समस्या को रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। इसके लिए पर्वतीय क्षेत्रों में स्थायी संरचनाओं का निर्माण, वनों की कटाई पर रोक और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ बनाई जानी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में इस प्रकार की आपदाओं से निपटा जा सके।

बहरहाल, धारचूला के चैतुलधार तवाघाट क्षेत्र में हुए भूस्खलन ने उत्तराखंड की यात्रा और जीवन यापन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। प्रशासन की तत्परता से राहत कार्य शुरू कर दिया गया है, लेकिन सड़कों की बहाली और यात्रा की पुनः शुरुआत में कुछ समय लग सकता है। फिलहाल, सबसे बड़ी प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है और इसके लिए प्रशासन हर संभव कदम उठा रहा है।



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