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केरल में फिर निपाह वायरस का कहर: 24 वर्षीय युवक की मौत, 151 लोग निगरानी में 



अजय त्यागी 2024-09-16 02:11:32 स्वास्थ्य

निपाह वायरस का कहर - Photo : Rex TV India
निपाह वायरस का कहर - Photo : Rex TV India

केरल में निपाह वायरस का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है। तीन महीने पहले इस खतरनाक संक्रमण ने राज्य को हिला दिया था, और अब एक 24 वर्षीय युवक की मौत ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। क्या यह संक्रमण एक बार फिर बड़े पैमाने पर फैलने वाला है? इस रिपोर्ट में जानिए, निपाह वायरस से जुड़े सभी तथ्यों और सावधानियों के बारे में।

मुख्य रिपोर्ट:
देश के दक्षिणी राज्य केरल में निपाह वायरस ने एक बार फिर लोगों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में 24 वर्षीय युवक की मौत ने राज्य को फिर से इस खतरनाक वायरस के संक्रमण के जोखिम में डाल दिया है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने 15 सितंबर को इसकी पुष्टि की और कहा कि राज्य में वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।

निपाह वायरस के कारण दूसरी मौत, राज्य में चिंता बढ़ी
इस साल केरल में निपाह वायरस से यह दूसरी मौत है। इससे पहले जुलाई में एक 14 वर्षीय लड़के की संक्रमण के कारण मौत हुई थी। 9 सितंबर को मलप्पुरम जिले के एक 24 वर्षीय युवक की निपाह वायरस से मौत हो गई। पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में परीक्षण के बाद वायरस की पुष्टि की गई।

संपर्क में आए 151 लोग निगरानी में
स्वास्थ्य मंत्री ने जानकारी दी कि मृतक के संपर्क में आए करीब 151 लोगों की निगरानी की जा रही है। इनमें से पांच लोगों में निपाह संक्रमण के लक्षण पाए गए हैं, जिनके सैंपल परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। राज्य में उच्च जोखिम वाले लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।

चार अस्पतालों में इलाज के बावजूद बचाया नहीं जा सका युवक
मृतक का इलाज पहले चार निजी अस्पतालों में कराया गया था, लेकिन समय रहते सही उपचार न मिलने से उसे बचाया नहीं जा सका। निपाह वायरस के मामले में शुरुआती पहचान और आइसोलेशन बेहद जरूरी माने जाते हैं, क्योंकि यह संक्रमण बहुत तेजी से फैल सकता है।

निपाह वायरस: सुअर और चमगादड़ से फैलने वाला खतरनाक संक्रमण
निपाह वायरस एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका प्रसार सुअर और चमगादड़ जैसे जानवरों से इंसानों में होता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति से भी यह वायरस एक से दूसरे में फैल सकता है। वायरस की मृत्युदर 45-75% के बीच मानी जाती है, जो इसे बेहद खतरनाक बनाती है।

2018 से केरल में लगातार फैल रहा निपाह
केरल में निपाह वायरस का प्रसार 2018 से लगातार हो रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने हर बार इसके प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन फिर भी यह वायरस पूरी तरह से नियंत्रित नहीं हो सका है। इस बार भी संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सलाह: क्या सावधानियां बरतें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि निपाह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इसके कारण इन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसी जटिलताएं हो सकती हैं, जो कोमा और मृत्यु के जोखिम को बढ़ा देती हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि फलों और सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह धोएं और पक्षियों द्वारा काटा हुआ फल न खाएं।

निपाह वायरस के लिए अब तक नहीं मिला कोई टीका या उपचार
निपाह वायरस के लिए अभी तक कोई विशिष्ट टीका या उपचार नहीं मिला है। हालांकि, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को कुछ हद तक प्रभावी पाया गया है, लेकिन इसका प्रभाव सीमित है। इसलिए, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचना और जरूरी सावधानियों का पालन करना ही सबसे अच्छा उपाय है।

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग पर जोर
स्वास्थ्य विभाग ने तेजी से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग का काम शुरू कर दिया है, ताकि किसी अन्य व्यक्ति को इस खतरनाक वायरस से संक्रमित होने से बचाया जा सके। संपर्क में आए सभी लोगों का परीक्षण और निगरानी की जा रही है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और किसी भी संदिग्ध लक्षण के दिखने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।

निपाह संक्रमण से कैसे बचें: जानिए जरूरी सावधानियां
विशेषज्ञों का कहना है कि निपाह वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोकर ही खाएं। पक्षियों द्वारा काटा हुआ फल न खाएं। संक्रमित व्यक्ति से संपर्क करने से बचें और समय पर चिकित्सा सलाह लें। यह भी जरूरी है कि लोग भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचें, खासकर उन क्षेत्रों में जहां निपाह संक्रमण के मामले सामने आए हैं।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी: निपाह के खिलाफ लड़ाई में एकमात्र उपाय
हालांकि निपाह वायरस के लिए कोई विशिष्ट उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को कुछ मामलों में उपयोगी माना गया है। यह एंटीबॉडी संक्रमित व्यक्ति के शरीर में जाकर वायरस के प्रभाव को कम करती है। लेकिन इसका उपयोग सीमित है और यह वायरस के खिलाफ एकमात्र उपाय नहीं है। इसलिए, सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है।

Disclaimer (अस्वीकरण):
इस लेख में दी गई जानकारी सरकारी और संबंधित स्वास्थ्य एजेंसियों द्वारा जारी सूचनाओं और आधिकारिक स्रोतों पर आधारित है। लेख में बताए गए तथ्यों की सटीकता सुनिश्चित करने का हर संभव प्रयास किया गया है, फिर भी पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए अपने डॉक्टर या विशेषज्ञ से संपर्क करें। इस लेख का उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। इसे चिकित्सा परामर्श के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।



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