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गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर ने मचाया कहर: सैकड़ों घर जलमग्न, हजारों बेघर



अजय त्यागी 2024-09-16 04:44:59 उत्तर प्रदेश

सैकड़ों घर जलमग्न
सैकड़ों घर जलमग्न

गंगा और यमुना नदियों का उफान अब विनाशकारी स्थिति में पहुंच गया है, जिससे सैकड़ों घर जलमग्न हो चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, और प्रशासन बाढ़ राहत के लिए अपनी पूरी क्षमता के साथ जुटा हुआ है। क्या ये भयावह स्थिति और गंभीर होगी या पानी का रुख कुछ राहत देगा? आइए, जानते हैं इस बाढ़ की आपबीती, प्रशासन की तैयारी और उन हजारों लोगों की दर्दभरी कहानी, जो इस तबाही का शिकार हो चुके हैं।

गंगा-यमुना के जलस्तर में लगातार वृद्धि: एक गंभीर संकट
गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ता जा रहा है, जिससे नदियों के किनारे स्थित कछारी इलाकों में रहने वाले सैकड़ों परिवार प्रभावित हो चुके हैं। सोमवार सुबह तक फाफामऊ, छतनाग, और नैनी में जलस्तर खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गया था। फाफामऊ में जलस्तर 84.7 मीटर, छतनाग में 83.40 मीटर, और नैनी में 83.90 मीटर पर रिकॉर्ड किया गया। पिछले 24 घंटों में इन स्थानों पर जलस्तर में 1.20 मीटर तक की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसने वहां के निवासियों को हिला कर रख दिया है। जलस्तर की इस बढ़ोतरी ने सैकड़ों घरों को डुबो दिया है, जिसके कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं। प्रभावित लोग या तो बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं या अपने रिश्तेदारों के घरों में जा रहे हैं।

बाढ़ राहत शिविरों में भीड़ और प्रशासन की तैयारी
बाढ़ के कारण प्रशासन ने फौरन हरकत में आकर सात बाढ़ राहत शिविर क्रियाशील कर दिए हैं, जहां प्रभावित परिवारों को आश्रय दिया जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 15 मोहल्लों के 795 परिवारों के लगभग 5075 लोग इस बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। इनमें से 254 परिवारों के 1130 लोग बाढ़ राहत शिविरों में शरण ले चुके हैं, जबकि बाकी लोग अपने रिश्तेदारों के यहां चले गए हैं। छोटा बघाड़ा, राजापुर कछार, गंगानगर राजापुर, द्रौपदी घाट, बेली कछार, करेलाबाग, नेवादा, सलोरी जैसे क्षेत्रों में बाढ़ का गंभीर असर देखने को मिला है। यहां के निवासियों ने अपने घरों की पहली मंजिल के डूब जाने के बाद दूसरी मंजिल में शरण ले रखी है और अपने घरों की निगरानी कर रहे हैं।

सुरक्षा और बिजली व्यवस्था की चुनौतियां
बाढ़ के कारण प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा की चुनौती भी खड़ी हो गई है। कई घरों के खाली हो जाने से चोरी की घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन ने इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रभावित क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति बंद कर दी है, ताकि कोई दुर्घटना न हो। खासकर छोटा बघाड़ा, राजापुर, गंगानगर और सलोरी क्षेत्रों में बिजली कटौती की गई है। नैनी में प्रति घंटा जलस्तर आधा सेंटीमीटर और छतनाग में एक सेंटीमीटर बढ़ रहा है। प्रशासन का मानना है कि अगर पश्चिम की ओर से पानी की आवक में कमी आई, तो जलस्तर में वृद्धि धीमी हो सकती है। हालांकि, जलस्तर का खतरे के निशान के करीब होना चिंताजनक है।

राहत कार्यों में नावों की तैनाती
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों के लिए 27 नावें तैनात की हैं, ताकि लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया जा सके। फूलपुर तहसील के बदरा सोनौटी गांव में आवागमन के लिए छह नावें लगाई गई हैं, जबकि करछना के भगेसर देहली गांव में एक, और तहसील सदर के दारागंज में तीन नावें तैनात की गई हैं। इसके अलावा बघाड़ा और राजापुर क्षेत्रों में भी नावों की व्यवस्था की गई है। प्रशासनिक अधिकारियों ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और राहत कार्यों का जायजा लिया। एनी बेसेंट स्कूल और महबूब अली इंटर कॉलेज सहित कई स्कूलों को राहत शिविरों में तब्दील कर दिया गया है, जहां लोग शरण ले रहे हैं।

चिकित्सा और खानपान की व्यवस्था
बाढ़ राहत शिविरों में पहुंचे लोगों और बाढ़ में फंसे लोगों के लिए प्रशासन ने खानपान की व्यवस्था कर दी है। शिविरों में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और चिकित्साधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई गई है, ताकि बीमार और घायल लोगों को तत्काल चिकित्सा सहायता मिल सके। प्रशिक्षित सिविल डिफेंस के वॉलंटियर्स को भी राहत शिविरों में तैनात कर दिया गया है, ताकि जरूरतमंद लोगों की सहायता की जा सके। प्रशासन ने राहत कार्यों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, जिनके माध्यम से लोग मदद ले सकते हैं।

प्रशासन का दौरा और सहायता
सहायक उप नियंत्रक एडीसी राजेश कुमार तिवारी ने एनी बेसेंट महबूब अली उमराव सिंह बालिका स्कूल का दौरा किया और वहां फंसे लोगों को राहत शिविरों तक पहुंचाने में मदद की। इस दौरान स्टाफ ऑफ रिजर्वेशन के कई अधिकारी भी मौजूद रहे और राहत कार्यों में हिस्सा लिया। प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय समाजसेवक भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की सहायता के लिए सामने आए हैं। शिविरों में साफ-सफाई, खानपान, और स्वास्थ्य सेवाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है, ताकि किसी प्रकार की बीमारी फैलने से रोकी जा सके।

राहत शिविरों में सुरक्षा और सेवा
प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर में लोगों की सुरक्षा और सुविधाओं का ध्यान रखा जा रहा है। राहत शिविरों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें तैनात हैं, जो लोगों की जांच कर रही हैं और उन्हें जरूरी दवाइयां उपलब्ध करा रही हैं। बाढ़ प्रभावित छोटा बघाड़ा मोहल्ले के लिए एनी बेसेंट स्कूल, राजापुर कछार के लिए ऋषिकुल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, द्रौपदी घाट के लिए कैंट हाईस्कूल, और गंगानगर राजापुर के लिए स्वामी विवेकानंद इंटर कॉलेज को राहत शिविर बनाया गया है।

गंगा-यमुना के बढ़ते जलस्तर ने एक गंभीर आपदा की स्थिति पैदा कर दी है। सैकड़ों घरों के जलमग्न होने और हजारों लोगों के बेघर होने के बाद, प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है। पानी की आवक कम होने की उम्मीद है, लेकिन फिलहाल स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। प्रशासनिक और स्थानीय स्तर पर प्रयास जारी हैं, ताकि इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को राहत मिल सके।



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