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दिव्यांग के विरोध पर पिटबुल का हमला! बागपत में शराबी युवकों की हैवानियत का शिकार हुआ अनिल



अजय त्यागी 2024-09-18 09:14:23 उत्तर प्रदेश

प्रतीकात्मक फोटो : Internet
प्रतीकात्मक फोटो : Internet

क्या एक दिव्यांग को मोहल्ले में गाली-गलौज का विरोध करना इतना महंगा पड़ सकता है कि उसे न सिर्फ बेरहमी से पीटा जाए, बल्कि पिटबुल जैसे खतरनाक कुत्ते से भी हमला करवाया जाए? यूपी के बागपत जिले के खेकड़ा थाना क्षेत्र में हुई इस दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। शराबी युवकों ने अपने पड़ोसी दिव्यांग अनिल के साथ ऐसा ही कुछ किया, जिसे सुनकर हर कोई सन्न रह गया।

दिव्यांग का साहस बना परेशानी
बागपत जिले के खेकड़ा थाना क्षेत्र में रहने वाले दिव्यांग अनिल ने अपने पड़ोसियों के गलत व्यवहार का विरोध करने की हिम्मत दिखाई। सोमवार देर शाम सतीश और अनुज नाम के दो युवक इलाके में शराब पीकर गाली-गलौज कर रहे थे। अनिल ने इस अशोभनीय हरकत का विरोध किया, लेकिन उसका विरोध इन युवकों को रास नहीं आया। यह मामूली सा विरोध अनिल के लिए एक भयानक रात का सबब बन गया।

बेरहम हमलावरों की करतूत
गुस्साए सतीश और अनुज ने अनिल को जबरदस्ती पकड़कर अपने कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद उन्होंने दिव्यांग के साथ मारपीट शुरू कर दी। हमलावरों ने अनिल को बिना किसी रहम के पीटा और उसकी हालत खराब कर दी। लेकिन उनकी हैवानियत यहीं नहीं रुकी। वे इतने पर भी संतुष्ट नहीं हुए, तो उन्होंने अपने पालतू पिटबुल कुत्ते को अनिल पर छोड़ दिया, जिससे अनिल गंभीर रूप से घायल हो गया।

पिटबुल का खौफनाक हमला
पिटबुल, जिसे अपनी आक्रामकता के लिए जाना जाता है, ने अनिल पर कई जगहों से हमला किया। अनिल की स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि वह कई जगहों पर बुरी तरह से घायल हो गया। इस घटना के बाद अनिल को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत अब स्थिर बताई जा रही है। इस अमानवीय घटना ने पूरे मोहल्ले को झकझोर कर रख दिया है।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी
दिव्यांग अनिल की तहरीर पर खेकड़ा पुलिस ने तत्काल कार्रवाई की। बुधवार को पुलिस ने आरोपी सतीश को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दूसरे आरोपी अनुज की तलाश अभी जारी है। पुलिस क्षेत्राधिकारी प्रीता ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सख्त कार्रवाई की जाएगी, और अनुज की जल्द से जल्द गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी। पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है ताकि दोषियों को कठोर सजा मिल सके।

दिव्यांग की बहादुरी
अनिल के परिवार ने बताया कि अनिल की एकमात्र गलती यह थी कि उसने मोहल्ले में हो रही अशांति का विरोध किया। उसका उद्देश्य सिर्फ यह था कि इलाके में शांति बनी रहे और कोई अप्रिय घटना न हो। लेकिन विरोध करने के कारण उसे अपनी जान पर खतरा उठाना पड़ा। अनिल का यह साहसिक कदम जहां एक ओर समाज में जागरूकता का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर इस घटना ने यह भी उजागर किया है कि किस तरह से कुछ लोग अपनी हैवानियत को अंजाम देने से भी पीछे नहीं हटते।

मोहल्ले में दहशत का माहौल
इस घटना के बाद पूरे मोहल्ले में डर और दहशत का माहौल है। लोग इस बात से चिंतित हैं कि ऐसे अमानवीय कृत्य करने वाले लोग समाज में खुलेआम घूम रहे हैं और किसी भी समय किसी और पर हमला कर सकते हैं। मोहल्ले के लोगों ने पुलिस से गुजारिश की है कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न कर सके।

यह रिपोर्ट न केवल घटना की विभीषिका को उजागर करती है, बल्कि समाज के उस काले पक्ष को भी सामने लाती है, जहां एक आम इंसान का विरोध करना उसकी जान के लिए खतरा बन सकता है।



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