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18 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बोरवेल से बचाई गई दो साल की मासूम नीरू, अस्पताल में चल रही जांच 



अजय त्यागी 2024-09-19 12:02:02 राजस्थान

बोरवेल से बचाई गई दो साल की मासूम नीरू - Photo : IANS
बोरवेल से बचाई गई दो साल की मासूम नीरू - Photo : IANS

राजस्थान में दौसा जिले के बांदीकुई के जोधपुरिया गांव में 18 घंटे लम्बे और चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आखिरकार दो साल की मासूम नीरू को बोरवेल से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस घटना ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी थी और हर कोई इस बच्ची की सलामती के लिए दुआएं कर रहा था। बचाव दल की अथक मेहनत और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों से नीरू को बचाने में सफलता मिली। क्या है इस पूरे ऑपरेशन की कहानी और कैसी है नीरू की तबियत? आइए जानते हैं विस्तार से।

बोरवेल में गिरी मासूम नीरू: कैसे हुआ यह हादसा?
यह दुखद घटना राजस्थान के जोधपुरिया गांव में घटित हुई, जहाँ दो साल की नीरू खेलते-खेलते अचानक बोरवेल में जा गिरी। इस घटना ने परिवार और पूरे गांव को हिला कर रख दिया। बच्ची के गिरते ही लोगों ने तत्काल प्रशासन को सूचना दी और रेस्क्यू ऑपरेशन की शुरुआत हुई। गांव के लोगों के अनुसार, नीरू के गिरने से पहले बोरवेल को ठीक से ढका नहीं गया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ।

प्रशासन ने संभाली स्थिति, तुरंत शुरू हुआ बचाव कार्य
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन और बचाव दल मौके पर पहुंच गए। टीम ने तत्काल बोरवेल के चारों ओर खुदाई का काम शुरू किया ताकि नीरू तक पहुंचा जा सके। इस ऑपरेशन में NDRF की टीम भी शामिल हुई, जिन्होंने आधुनिक उपकरणों की मदद से बोरवेल के अंदर की स्थिति का जायजा लिया। रेस्क्यू ऑपरेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था क्योंकि नीरू बोरवेल के अंदर काफी गहराई में फंसी हुई थी।

18 घंटे का चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन
बचाव कार्य को अंजाम देने में कुल 18 घंटे का समय लगा। रेस्क्यू टीम ने बोरवेल के समानांतर एक सुरंग खोदकर नीरू तक पहुंचने का प्रयास किया। इस दौरान समय-समय पर नीरू को ऑक्सीजन पहुंचाई जा रही थी और उसकी स्थिति पर नजर रखी जा रही थी। पूरा गांव और देशभर के लोग इस मासूम की सलामती की दुआ कर रहे थे, और सोशल मीडिया पर भी यह खबर तेजी से फैल रही थी।

नीरू की हालत कैसी है?
नीरू को बोरवेल से सुरक्षित निकालने के बाद उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मेडिकल जांच की जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि नीरू की हालत फिलहाल स्थिर है, लेकिन उसे आगे की जांच और देखभाल की जरूरत है। अस्पताल में उसके परिवार वाले भी मौजूद हैं, और सभी उसकी बेहतर सेहत की कामना कर रहे हैं।

प्रशासन और रेस्क्यू टीम की सराहना
इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देने के लिए प्रशासन और रेस्क्यू टीम की जमकर सराहना हो रही है। NDRF और स्थानीय पुलिस ने मिलकर इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम दिया और किसी भी अनहोनी से पहले नीरू को सुरक्षित निकालने में सफलता पाई। राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भी इस घटना पर संज्ञान लेते हुए बचाव टीम को बधाई दी और नीरू के स्वस्थ जीवन की कामना की।

सोशल मीडिया पर घटना की चर्चा, दुआओं का सिलसिला
इस घटना के बाद से सोशल मीडिया पर नीरू की सलामती के लिए लोगों ने जमकर दुआएं कीं। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर #SaveNeeru और #BorewellRescue जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे हैं। देशभर के लोग इस रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने पर अपनी खुशी व्यक्त कर रहे हैं और रेस्क्यू टीम की प्रशंसा कर रहे हैं।

बोरवेल हादसों का बढ़ता खतरा
यह घटना एक बार फिर से बोरवेल हादसों के बढ़ते खतरे को उजागर करती है। देशभर में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जहाँ खुले बोरवेल में गिरने से बच्चों की जान खतरे में पड़ जाती है। सरकार और प्रशासन को इस दिशा में और सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

भविष्य में ऐसे हादसों से बचाव के उपाय
यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि बोरवेल जैसे स्थानों पर सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता है। खुले बोरवेल को तुरंत बंद करने के आदेश दिए जाने चाहिए और जिन क्षेत्रों में बोरवेल हैं, वहां स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहना होगा। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाने की भी जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

नीरू के परिवार की मुश्किलें
इस घटना के बाद नीरू के परिवार वालों पर भी भारी मानसिक दबाव था। उनकी बेटी का बोरवेल में फंस जाना उनके लिए किसी बड़े दुःस्वप्न से कम नहीं था। परिवार वालों का कहना है कि जब तक नीरू को सुरक्षित बाहर नहीं निकाला गया था, तब तक उनके दिलों की धड़कनें तेज थीं। अब नीरू के सुरक्षित निकलने पर परिवार ने राहत की सांस ली है।

घटना के बाद ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
घटना के बाद गांव के लोगों में आक्रोश भी देखा गया। लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाए कि बोरवेल को ढकने में लापरवाही बरती गई थी, जिसके कारण यह हादसा हुआ। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बोरवेल को सही तरीके से बंद किया गया होता, तो यह घटना टाली जा सकती थी। प्रशासन ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी लापरवाहियों को गंभीरता से लिया जाएगा।



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