Fri, 20 September 2024 03:15:18am
त्योहारी सीजन की तैयारियों के बीच आपके किचन का बजट बिगड़ सकता है। खाद्य तेल की कीमतों में अचानक आई उछाल ने आम आदमी की जेब पर भारी दबाव डाल दिया है। आखिर किस वजह से बढ़ी ये कीमतें और आने वाले दिनों में क्या होगा इसका असर? आइए, जानते हैं इस महंगाई की पूरी सच्चाई।
त्योहारी सीजन से ठीक पहले खाद्य तेल की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है, जिससे आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है। केंद्र सरकार द्वारा इंपोर्ट ड्यूटी में की गई बढ़ोतरी के बाद बाजार में सोया और पाम ऑयल जैसे तेलों की कीमतों में 15 से 16 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह वृद्धि न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर सीधा असर डाल रही है, बल्कि छोटे और मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट भी बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है।
सरकार ने क्रूड आयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को शून्य से बढ़ाकर 20% और खाद्य तेलों पर 12.5% से 32.5% कर दिया है, जिससे थोक कारोबारी इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। बाजार के जानकारों का कहना है कि त्योहारी सीजन में खाद्य तेलों की मांग को देखते हुए कीमतों में यह उछाल जारी रह सकता है।
मोटा मुनाफा कमा रहे कारोबारी:
बाजार के विश्लेषकों के अनुसार, बड़े कारोबारियों ने खाद्य तेल की कीमतों में वृद्धि के बाद मोटा मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है। थोक मंडियों में तेल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, और छोटे खुदरा विक्रेताओं को भी यह मूल्य वृद्धि ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
आम लोगों की जेब पर सीधा असर:
खाद्य तेलों की कीमतों में इस उछाल का सबसे ज्यादा असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा है। जैसे-जैसे त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे लोगों की जेब पर बोझ बढ़ता जा रहा है। चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया का कहना है कि इस बढ़ोतरी से मध्यमवर्गीय परिवारों का मासिक बजट बिगड़ सकता है।
आने वाले दिनों में राहत की उम्मीद नहीं:
किराना कारोबारी निकुंज टेकड़ीवाल के अनुसार, त्योहारी सीजन और विवाह समारोहों के चलते कीमतों में फिलहाल किसी भी तरह की कमी की उम्मीद नहीं है। बाजार के जानकार भी मानते हैं कि अगले कुछ महीनों तक खाद्य तेल की कीमतें ऊंचाई पर बनी रह सकती हैं।
मुख्य बिंदु: