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टीबी के खिलाफ भारत की जीत - डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में आई टीबी के केसेस में 17.7 प्रतिशत की गिरावट



अजय त्यागी 2024-11-06 02:11:46 स्वास्थ्य

टीबी के खिलाफ भारत की जीत - डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में आई उपलब्धि
टीबी के खिलाफ भारत की जीत - डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में आई उपलब्धि
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की हालिया रिपोर्ट में भारत ने टीबी के खिलाफ बड़ी उपलब्धि हासिल की है। डब्ल्यूएचओ की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में टीबी के मामलों में 17.7% की कमी आई है, जो कि वैश्विक औसत से कहीं अधिक है। आइए जानते हैं कि कैसे भारत ने टीबी नियंत्रण में इतने महत्वपूर्ण कदम उठाए।

भारत ने टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक अहम मुकाम हासिल किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 29 अक्टूबर को जारी ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत में 2015 में टीबी के प्रति एक लाख जनसंख्या पर 237 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2023 में घटकर 195 रह गए हैं। यह गिरावट 17.7% की है, जो वैश्विक गिरावट दर 8.3% से कहीं अधिक है। इस प्रगति का श्रेय भारत की बढ़ी हुई टीबी नियंत्रण योजनाओं और स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रयासों को दिया जा रहा है।

2023 में, भारत में लगभग 27 लाख टीबी मामले थे, जिनमें से 25.1 लाख मामलों का निदान और उपचार किया गया। इसके साथ ही, 2015 में जहां इलाज कवरेज 72% था, वह 2023 में बढ़कर 89% तक पहुंच गया है। इस उपलब्धि का मुख्य कारण व्यापक स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार है, जिसमें देशभर में स्थापित 1.7 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर ने समुदायों तक डायग्नोस्टिक और उपचार सेवाएं पहुंचाई हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टीबी से होने वाली मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। 2015 में प्रति लाख जनसंख्या पर 28 मौतें होती थीं, जो अब घटकर 22 रह गई हैं। इस तरह, मृत्यु दर में 21.4% की कमी आई है। डब्ल्यूएचओ ने इस प्रगति पर भारत की प्रशंसा की है और माना है कि टीबी मामलों में कमी और मृत्यु दर को कम करने में भारत की प्रतिबद्धता ने अहम भूमिका निभाई है।

भारत सरकार ने राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की है। 2015 में जहां टीबी का बजट 640 करोड़ रुपये था, वह 2022-23 में बढ़कर 3,400 करोड़ रुपये हो गया है। इस वित्तीय सहायता ने भारत को आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीकों का उपयोग करने, उन्नत उपचार विधियों को अपनाने और सभी टीबी रोगियों को मुफ्त डायग्नोस्टिक और उपचार सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया है।

इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत ने 7,767 रैपिड मोलेक्युलर टेस्टिंग सेंटर और 87 कल्चर और ड्रग सस्प्टिबिलिटी टेस्टिंग लैब स्थापित की हैं। इसके अतिरिक्त, जल्द ही 800 एआई-सक्षम पोर्टेबल चेस्ट एक्स-रे मशीनें जोड़ी जाएंगी, जो जांच की क्षमता को और अधिक सशक्त करेंगी।

टीबी मरीजों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत हर मरीज को 500 रुपये प्रतिमाह की सहायता दी जाती थी, जिसे हाल ही में 1,000 रुपये कर दिया गया है। 2023 में, 1.13 करोड़ लाभार्थियों को इस योजना के माध्यम से 3,202 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है। साथ ही, सरकार ने एनर्जी डेंस न्यूट्रीशनल सप्लीमेंटेशन (EDNS) की शुरुआत की है, जो करीब 12 लाख कुपोषित टीबी मरीजों को इलाज के पहले दो महीनों में अतिरिक्त पोषण प्रदान करेगा।

डब्ल्यूएचओ ने भारत के इस प्रयास को सराहा है और टीबी उन्मूलन के प्रति भारत के मजबूत इरादों को मान्यता दी है। 2025 तक भारत का लक्ष्य है टीबी को जड़ से समाप्त करना, जिसके लिए भारत ने कई रणनीतिक योजनाएं अपनाई हैं। सरकार द्वारा लागू की गई प्रभावी योजना और मजबूत स्वास्थ्य ढांचा इस उद्देश्य की पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।